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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तीसरी मद है वलिअम्मा भवन । इस संस्थाकी स्थापना वलिअम्मा नामकी एक १७ वर्षीय लड़कीकी स्मृतिमें हुई है। वह जेलमें ज्वरसे पीड़ित हो जानेके फलस्वरूप रिहा होनेके कुछ समय बाद ही चल बसी थी । इस भवनका उपयोग मुख्यतः शिक्षा- सम्बन्धी कार्यों के लिए किया जायेगा। हमारे तमिल देशभाइयोंने सबसे अधिक कष्ट सहे हैं। जोहानिसबर्ग भारतीयोंका सबसे बड़ा केन्द्र है। सबसे अधिक सत्याग्रही वहाँके थे और उनमें तमिल सबसे आगे थे । उक्त बहिन भी जोहानिसबर्गकी थीं। सत्याग्रह - कोषमें से जोहानिसबर्ग में समाजको सार्वजनिक आवश्यकताओंकी पूर्तिके लिए इस स्थायी भवनके बनाये जानेसे अधिक अच्छा इस धनका कोई उपयोग नहीं हो सकता था । इस संस्थाकी रजिस्ट्री ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष श्री आमद मुहम्मद काछलिया, थम्बी नायडू और पोलकके नाम कर दी जायेगी और वह उक्त उद्देश्योंके लिए प्रयुक्त होगी। इसपर वतः ४,००० पौंड व्यय होंगे। मुझे आशा है कि कोषका यह उपयोग आपकी समितिको पसन्द आयेगा और उन उद्देश्योंके सर्वथा अनुकूल होगा जिनके लिए यह धन दक्षिण आफ्रिका भेजा गया था -- - अर्थात् सत्याग्रहियोंको राहत देना और संघर्षको प्रोत्साहित करना । मेरी रायमें हमारे पास जो शेष धन बचा है वह श्री ए० एच० वेस्ट और मगनलाल खुशालचन्द गांधीके नाम अबतक की तरह न्यासके रूपमें जमा रहना चाहिए और उनको यह निर्देश दे दिया जाना चाहिए कि वे उस धनका उपयोग स्थानीय कानूनोंके न्यायपूर्ण प्रशासन प्राप्त करनेके उपायों, शेष निर्योग्यताओंको हटाने और सत्याग्रहियोंको राहत देने पर खर्च करें। जिन राहतोंका मैंने उल्लेख किया है यदि उनसे अधिक बातोंमें राहतकी आवश्यकता पड़ती है तो उस तरहके असाधारण खर्चके लिए सर्वश्री काछलिया, पारसी रुस्तमजी और अन्य सत्याग्रहियोंसे सहयोग ले लिया जाता है।

लोगोंका जेल जाना तो बन्द हो गया है; किन्तु शेष निर्योग्यताओंको हटानेके लिए संघर्ष चल ही रहा है और अब मैं यहाँ इसके परिणामोंके सम्बन्धमें एक संक्षिप्त विवरण द रहा हूँ । संघर्षके अन्तिम दौरमें लगभग २५,००० भारतीयोंने अर्थात् दक्षिण आफ्रिकाकी कुल भारतीय आबादीके छठे हिस्सेने सक्रिय भाग लिया। कुछ थोड़ेसे लोगोंको छोड़कर शेष समाजने नकद या चीज़-बस्त या चन्दा देकर या समर्थनमें सभाएँ आदि करके संघर्ष में सहायता दी । जब १९०६में ट्रान्सवालमें प्रसिद्ध एशियाई


१. देखिए खण्ड १२, पृष्ठ ३५१-५२।

२. इस अनुच्छेदके स्थानपर निम्नलिखित अनुच्छेद प्रकाशित किया गया था: “जो रकम खर्च नहीं की गई उसमें से अधिकांश, अर्थात् २१५,००० रुपये तार द्वारा डर्बनसे मुझे भेज दिये गये थे और आपकी समितिकी इच्छाके अनुसार, यह रकम मैंने आपको दे दी है। मेरी समझ में इतनी बड़ी रकमकी इस बचतसे प्रकट होता है कि कोषका पैसा खर्च करते समय पूरी किफायत बरती गई है।

कदाचित् इस समय उस संघर्षका एक अत्यन्त संक्षिप्त विवरण देना आवश्यक है जिसको चल। नेके लिए मातृभूमिने इतनी उदारतासे धन दिया था।"

३.प्रकाशित पत्र में यह वाक्य इस प्रकार है: “यद्यपि वस्तुतः जेल जाना बन्द हो गया है, संघर्ष कदापि समाप्त नहीं हुआ है।"