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सम्पूर्ण गांधी वाड्मय
आय | पौ॰ शि॰ १० |
ओ॰ में सूचित प्राप्त राशि | १,०५४-१७-६ |
बम्बई | १८.९०१-६-८ |
मद्रास | ४,०३५-०-० |
रंगून | २.१३६-०- ६ |
नैरोबी | १५०-०-० |
जंजीबार | ३३-६-८ |
लन्दन | ३८६-११-१० |
फार्म स्कूलकी फीसें वापस जमा | ४९१-१०- ७ |
मालकी बिक्री | ६७-१३-१० |
जोहानिसबर्ग | ६४-१७-० |
उर्बन दफ्तरके वापस जमा | १-१-० |
यात्रा-अर्चके वापस जमा | १-१-० |
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२७,३२४-०-७ |
गांधीजी द्वारा संशोधित हस्तलिखित अंग्रेजी मरानिदे (एस॰ एन॰ ६२११) की फोटो-नकल और प्रकाशित पत्र (जी॰ एन॰ ८२२४) से भी।
९९. पत्र : नारणदास गांधीको
[जून १९, १९१५][१]
चि॰ नारणदास,
चि॰ सामलदासने पोरबन्दरसे लिखा है कि बा की गुजराती टीका-युक्त रामायण वहां राजकोटमें पड़ी है। यदि कहीं दिलाई दे तो उसे और मैंने जमनादासको पोपकी जो तमिल पुस्तकें दी थी, उन्हें लेते आना। तुम्हारे बारेमें आदरणीय खुशालभाईको मैंने जो कुछ लिखा[२] है उस पर विचार करना। यदि आश्रमके सम्बन्धमें तुम्हारी श्रद्धा अविचल हो तो कूद पड़ो।
मोहनदासके आशीर्वाद
चि॰ नारणदास खुशालचन्द गांधी
मिडिल स्कूलके सामने
परा
राजकोट
मिडिल स्कूलके सामने
परा
राजकोट
- गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पोस्ट कार्ड (सी॰ डब्ल्यू॰ ५६७६) से।
- सौजन्य : नारणदास गांधी