पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/१९२

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१४८. डायरी : १९१५[१]

जनवरी ९, शनिवार,[२]माघ बदी ८

बम्बई पहुँचा।[३] श्री गोखलेसे भेंट।

जनवरी १३, बुधवार

माउंट पेटिटमें सभा।[४]

जनवरी १४, बृहस्पतिवार

गवर्नरसे मुलाकात।

जनवरी १५, शुक्रवार

महिलाओंकी ओरसे अभिनन्दन। राजकोटके लिए रवाना।

जनवरी १६, शनिवार

रात वांकानेरमें। छोटू साथ हो लिया। उमियाशंकर मिलनेके लिए आये।

जनवरी १७, रविवार

सवेरे राजकोट पहुँचा। मानपत्र आदि।[५]

जनवरी १८, सोमवार

ठाकुर साहबसे मुलाकात की।

जनवरी २१, बृहस्पतिवार

राजकोटसे रवाना। जेतपुर पहुँचा। अभिनन्दनपत्र――रात-भर रहा――शुक्ल साथ आये।

जनवरी २२, शुक्रवार

जेतपुरसे विशेष गाड़ीमें रवाना। धोराजीमें[६]।अभिनन्दनपत्र। पोरबन्दर पहुँचा।
देवचन्द पारेख साथ आये।
 
  1. १. गांधीजीके स्वाक्षरोंमें, गुजराती में लिखित यह डायरी अधिकांशतः उनके विविध कार्यों और क्रियाकलापोंका मोटा-मोटा लेखा-जोखा है। इससे, गांधीजी जिस आश्रमकी स्थापनाका विचार कर रहे थे उसके सम्बन्ध में १९१५ की अवधिके दौरान हुई प्रगतिका भी कुछ अन्दाज लग जाता है।
  2. २. डायरीके हर पन्नेपर अंग्रेजी तारीखके अलावा विक्रम, हिजरी, शक और पारसी सम्वत्को तिथियाँ भी छपी हुई हैं। यहाँ केवल अंग्रेजी तिथियों ही दी गई हैं।
  3. ३. देखिए “भेंट: बॉम्बे क्रॉनिकल के प्रतिनिधिको”, ९-१-१९१५।
  4. ४. इसे जनवरी १२ की टीपमें होना चाहिए। देखिए “भाषण: बम्बईके सार्वजनिक स्वागत-समारोहमें”, १२-१-१९१५।
  5. ५. देखिए “राजकोटके नागरिकों द्वारा भेंट किये गये मानपत्रका उत्तर”, १५-१५-१-१९६५।
  6. ६. देखिए “दरबारगढ़ में भेंट किये गये मानपत्रका उत्तर”, २२-१-१९१५