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भाषण: बढवानमें राजचन्द्र जयन्तीके अवसरपर

उचित रूपसे मुकदमा चलानेकी माँग करते हैं; किन्तु अपील सर्वाधिक प्रभावकारी तो केवल तभी बन सकती है जब सम्बन्धित पक्ष बिलकुल निरपराध हो। यदि में कांग्रेसके अधिवेशन में लखनऊ आया तो हम सम्पूर्ण मामलेपर बातचीत करेंगे।

हृदयसे आपका
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० १००) की फोटो-नकलसे।

२२४. भाषण: बढवानमें[१] राजचन्द्र जयन्तीके अवसरपर

नवम्बर ९, १९१६

श्रीयुत राजचन्द्रने परम वैराग्यमय जीवन बिताया था। इस सभामें दो प्रकारके लोग दिखाई देते हैं। एक वर्ग वह है जो श्रीयुत राजचन्द्रको पूज्य दृष्टिसे देखता है और दूसरा वह है जो केवल तमाशबीनके रूपमें यहाँ आया है। इस जयन्तीकी सफलता मुख्यतः पहले वर्गपर निर्भर है। श्रीयुत राजचन्द्रके प्रति जो पूज्य-भाव रखते हों, उन्हें अपना यह भाव व्यवहारमें परिणत करके दिखाना चाहिए। यदि उनके अनुयायी अपना व्यवहार अच्छा बनाकर दिखायेंगे तो समाजपर उसका बहुत असर होगा। धर्म आचारपर निर्भर है। यदि आप अपना आचार सुधार सकेंगे तो आप समाजको सुधार सकेंगे। श्रीयुत राजचन्द्रने मेरे मनपर बहुत गहरा असर डाला है। इसलिए मुझे उनके अनुयायियोंको कहना चाहिए कि श्रीयुत राजचन्द्र नामको कायम रखना आपके ऊपर निर्भर है। आपको इन मूल पुरुषके आचार-विचारका निर्दोष अनुकरण करना चाहिए। यदि ऐसा न होगा तो ऐसी जयन्तियोंमें ढोंगका तत्त्व आ जायगा। आप इस ढोंगको जैसे सम्भव हो वैसे दूर रखनेका प्रयत्न करें। यदि आपमें वस्तुतः भक्तिभाव होगा तो तमाशबीन लोग यहाँसे भक्तिका प्रभाव लेकर जायेंगे। जयन्तीकी सफलता मुख्यतः भक्तजनोंपर निर्भर है। भक्तोंको अपना चरित्र अत्यन्त उज्ज्वल बनाकर दिखाना चाहिए, मेरी यही विनम्र प्रार्थना है।

[गुजरातीसे]
काठियावाड़ टाइम्स, १२-११-१९१६
 
  1. १. सौराष्ट्रमें एक शहर।