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२४८. भाषण: गिरमिट-विरोधी सभामें[१]

फरवरी ११, १९१७

श्री गांधीने घोषित किया कि सभाका कार्यक्रम देशी भाषामें चलेगा और कहा:

फीजी आदि जगहोंमें गिरमिटकी जिस प्रथाके कारण हमारे देशके अनाथ और अशिक्षित भाइयों और बहिनोंकी बड़ी दुर्दशा होती है वह तत्काल और सम्पूर्णतया उठा दी जानी चाहिए। हम ऐसा निर्णय कर रहे हैं कि इसे ३१ मई तक उठा दिया जाना चाहिए। हमारा काम तालियाँ बजानेसे होनेवाला नहीं है। यह काम तभी होगा जब हम वहाँ जानेके लिए तैयार मजदूरोंके घर जा-जाकर उन्हें समझायेंगे और जानेसे रोकेंगे। आपको इस प्रयत्नमें लग जाना चाहिए।

[गुजरातीसे]
गुजराती, १८-२-१९१७

२४९. वक्तव्य: गोखलेकी बरसीके सम्बन्धमें अखबारोंको

दिल्ली
फरवरी १७, १९१७

महोदय,

महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय तथा अन्य मित्रोंकी सलाहसे मैं जनताका ध्यान अपने उस सुझावकी ओर आकर्षित करनेका साहस करता हूँ, जो मैंने अहमदाबादके अपने मित्रोंको इस मासकी १९ तारीखको गोखलेकी बरसी मनानेके बारेमें दिया था। सुझाव यह है कि इन सभाओंमें प्रतिवर्ष दिवंगत देश भक्तकी शिक्षाओंसे सामंजस्य रखनेवाला कोई ऐसा निश्चित व्यावहारिक कदम उठाया जाये जिससे किसी सार्वजनिक उद्देश्यकी पूर्ति हो। अहमदाबादमें सम्भवतः श्री गोखलेके भाषणोंको गुजरातीमें रूपान्तरित तथा प्रकाशित करनेके लिए चन्दा एकत्र किया जायेगा और उन्हें, अधिकसे-अधिक आगामी बरसी तक, प्रचारार्थ तैयार कर लिया जायेगा। दूसरे केन्द्र उनकी दूसरी चीजोंका अनुवाद कर सकते हैं, या विशेष प्रशिक्षणके निमित्त छात्रवृत्तियोंकी व्यवस्था करनेके लिए चन्दा एकत्र कर सकते हैं। यदि प्रतिवर्ष की जानेवाली सैकड़ों सभाओं में इस तरहके बहुत बड़े तो नहीं लेकिन निश्चित कदम उठाये जायें तो खयाल है कि कुछ ही वर्षोंमें हम जो शैक्षणिक प्रगति करेंगे वह नगण्य नहीं होगी।

[अंग्रेजीसे]
लीडर, १९-२-१९१७
  1. १. यह सभा बम्बईकी होमरूल लीगके तत्वावधान में शान्ताराम चाल, बम्बईमें हुई थी। सभाको अध्यक्षता गांधीजीने की थी।