पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/४६२

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३२८. पत्र: डब्ल्यू० बी० हेकॉकको

बेतिया
मई ३०, १९१७

प्रिय श्री हेकॉक,

मैं आपकी जानकारीके लिए इस पत्रके साथ श्री इविनके नाम लिखे गये अपने पत्रकी प्रति भेज रहा हूँ।

४ जूनको एल० जी०से[१] रांची में मिलनेके लिए मुझे एक सम्मन मिला है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र ( नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से; सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, सं० १०७, पृष्ठ १७३ से भी।

३२९. पत्र: डब्ल्यू० एस० इर्विनको

बेतिया
मई ३०, १९१७

प्रिय महोदय,

टोला गजपुरा रामसिंह, छतौनीकी आपकी रैयतके कुछ बयानोंके कारण, पिछले सोमवारको मैं लगभग ८ बजे शामको अचानक उस जगह गया।

मैं ५० से अधिक ग्रामवासियोंसे मिला और उन्होंने मुझे एक जमीनका टुकड़ा दिखाया जो पैमाइशमें ५१ बीघा कही जाती है और बताया कि वह जमीन हाल ही में आपने जिरातमें बदल दी है। उन्होंने कहा कि अधिकतर मापमें तो उन्हें जमीन बराबरकी दी गई है परन्तु उसकी किस्म घटिया होती है। उन्होंने गाँवका चरागाह दिखाया; चूँकि जिरातमें बदली हुई जमीनकी सरहद इससे लगी हुई थी इसलिए वे अपने मवेशियोंके पकड़े जानेके भयसे वहाँ प्रायः जा ही नहीं पाते। पिंजरापोलको जानेवाला (उनके कथनानुसार) जो एकमात्र रास्ता था, उन्होंने वह भी दिखलाया और कहा कि हम इस रास्तेका इस्तेमाल भी इसी डरसे नहीं कर सकते; यह जिरातमें से गुजरता है। लोगोंने बड़ी कटुतासे कहा कि वे जबर्दस्ती बेदखल किये गये हैं और इससे उनका बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि रद्दोबदलके समय हमें कुछ कागजातोंपर

 
  1. १. लेफ्टिनेंट गवर्नर।