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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

होनेवाली एक हानि सहन करनेपर विवश नहीं कर सकती। इसीलिए उन्होंने एक दूसरा प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि विवाद तो केवल अंकोंको लेकर है और यदि समिति उनका यह दृष्टिकोण मानती है तो फिर बेतिया राजको बीचमें लानेकी कोई जरूरत नहीं रह जाती। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि एक पक्षका प्रतिनिधित्व बागान-मालिक करें और दूसरे पक्ष――रैयतका प्रतिनिधित्व वे स्वयं करें और दोनों अपने-अपने विचार एक पंचके सामने रखें; पंचका काम न तो सरकार करे और न समिति; बल्कि एक पृथक् निकाय ही उसे करे। उन्होंने पंचोंके नाम भी पेश किये। श्री एपरले[१] और पण्डित मदनमोहन मालवीय; जो दोनों ही अपने लिए एक तीसरा पंच चुनेंगे, और यदि समिति इसे न माने तो उन्होंने श्री हेकॉकका नाम पेश किया। इन पंचोंके सामने दोनों पक्ष अपने-अपने विचार रखेंगे और इससे पहले समितिके विचार उनको बता ही दिये जायेंगे। उसपर पंच लोग अपना निर्णय देंगे, जिसे समितिके प्रतिवेदनमें शामिल कर लिया जायेगा। श्री रोडने कहा कि वे इस प्रस्तावसे सहमत नहीं हो सकते। बागान मालिकोंने जितनी भी अधिकसे-अधिक हो सकती थी, रियायत देनेकी बात कह दी है और अब वे पंच-निर्णयके इस सुझावसे सहमत नहीं होंगे। श्री रेनीने भी कहा कि बागान-मालिक सहमत नहीं होंगे। २५ प्रतिशत कटौती मंजूर होनेपर तुरकौलिया प्रतिष्ठानमें औसत वृद्धि ४ आने १० पाई होगी; यदि सदर सब-डिवीजनमें अनुमति प्राप्त वृद्धिकी दर उतनी ही बैठे जितनी कि बेतिया सब-डिवीजनमें है, तो तुरकौलिया प्रतिष्ठान मुन्सिफको अदालतमें एक रुपयेमें ४ आने ८ पाईको वृद्धि करा सकता है, इसलिए इतना तो स्पष्ट है कि ऐसे किसी भी पंच-फैसलेकी बात मानना उनके हितमें नहीं होगा जिसमें उनकी निश्चित हानि हो। तब अध्यक्षने कहा कि ऐसी परिस्थितिमें यह मानना चाहिए कि बेतिया राजके बारेमें उनका प्रस्ताव समिति के बहुमत द्वारा समर्थित है और यदि सरकार उसे बेतिया राजके लिए उचित समझे तो श्री गांधी उसका विरोध नहीं करेंगे। यदि वे विरोध करेंगे तो विशेष न्यायाधिकरण बैठानेकी सिफारिश की जायेगी।

...तब अध्यक्षने कहा कि वे एक छोटीसी चीजकी ओर सदस्योंका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। श्री गांधी शुरूसे ही मानते आये हैं कि मूल्य वृद्धिके आधारपर जितनी भी उचित हो उतनी वृद्धि रैयतके लगानमें की जानी चाहिए। राजघाट प्रतिष्ठानने लगान नहीं बढ़ाया, इस कारण उसको कुछ कठिनाई पड़ सकती है। इसलिए क्या श्री गांधी इस बातपर सहमत होंगे कि एक विशेष सिफारिश की जाये कि मूल्य वृद्धिके आधारपर राजघाट प्रतिष्ठानमें लगान बढ़ा दिया जाना चाहिए और बंगाल भू-धारण अधिनियमके खण्ड ११२ को लागू करनेके कारण भूमिका क्षेत्र बढ़ जानेके आधारपर लगान वृद्धि होनी चाहिए। श्री गांधी इससे सहमत हुए।

 
  1. १. सम्भवतः एफ० डब्ल्यू० एपरले, राजघाट कम्पनीके प्रबन्धक।