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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

(जनवरी ९, १९१५-अक्तूबर ६, १९१७)

१९१५

जनवरी ९: गांधीजी और कस्तूरबा बम्बईके अपोलो बन्दरपर जहाजसे उतरे। ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के प्रतिनिधियोंके पूछनेपर गांधीजीने कहा कि मैं श्री गोखलेकी सलाहका पालन करूँगा और भारतमें कुछ समय तक स्थितिका अवलोकन और अध्ययन करूँगा।
जनवरी ११: घाटकोपर, बम्बईमें स्वागत-समारोह।
जनवरी १२: माउंट पेटिट, बम्बईमें सर फीरोजशाह मेहताकी अध्यक्षतामें सार्वजनिक स्वागत समारोह।
जनवरी १३: हीराबागमें बम्बई नेशनल यूनियनकी ओरसे स्वागत। बाल गंगाधर तिलक और जोजेफ़ बैप्टिस्टा भी उपस्थित थे।
जनवरी १४: भारत सेवक समाज (सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) की बम्बई शाखा द्वारा आयोजित प्रीति-भोजमें सम्मिलित हुए। बम्बईके गवर्नरसे भेंट की। बम्बईकी गुर्जर-सभा द्वारा मुहम्मद अली जिन्नाकी अध्यक्षतामें आयोजित उद्यान भोजमें गये।
जनवरी १५: राजकोट, पोरबन्दर तथा सौराष्ट्रके अन्य स्थानोंकी यात्रापर बम्बईसे रवाना हुए।
जनवरी १७: राजकोटके नागरिकों द्वारा अभिनन्दन समारोह, अध्यक्षता राजकोटके दीवानने की।
जनवरी २१: राजकोटके मोढ़-समाज द्वारा मानपत्र।
जनवरी २२: दरबारगढ़ पहुँचे।
जनवरी २५: पोरबन्दर पहुँचे।
जनवरी २६: दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रह संघर्ष में सहायता देनेके लिए गांधीजीने पत्र लिखकर पोरबन्दरके प्रशासक, मेजर हॅनकॉकको धन्यवाद दिया।
जनवरी २७: गोंडलके रसशाला औषधाश्रमको देखने गये।
जनवरी १९१५: फीनिक्स आश्रमके बालकोंको शान्तिनिकेतनमें ठहरानेके लिए रवीन्द्रनाथ ठाकुरने पत्र लिखकर गांधीजीको धन्यवाद दिया।
फरवरी २: गांधीजी अहमदाबादसे बम्बई पहुँचे।
फरवरी ७: बम्बईके मिशन स्कूलमें भाषण।
फरवरी ८: पूना पहुँचे। भारत सेवक समाज (सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) का सदस्य बननेके विषय में बातचीत।

फीनिक्सके दलका गुरुकुलमें जो आतिथ्य और सत्कार हुआ, उसके सम्बन्ध में

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