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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

महात्मा मुंशीराम (स्वामी श्रद्धानन्द) को धन्यवादका पत्र लिखा।

फरवरी ११: पूनाकी दक्षिण सभा द्वारा स्वागत समारोह।
फरवरी १२: पूनाकी सार्वजनिक सभा द्वारा प्रीति-भोजका आयोजन।
फरवरी १३: गांधीजीने पूनामें महर्षि कर्वेका अनाथ बालिकाश्रम, फर्ग्युसन कॉलेज और आनन्दाश्रम देखा।

किर्लोस्कर थियेटरमें सार्वजनिक सभा।

फरवरी १४: बम्बईमें सनातन धर्म नीति शिक्षण प्रवर्तक समितिके पुरस्कार वितरण समारोहकी अध्यक्षता की।
फरवरी १५: बम्बईके कपोल छात्रावासमें भाषण। शान्तिनिकेतनके लिए रवाना हुए।
फरवरी १७: बोलपुर पहुँचे। सी० एफ० ऐन्ड्रयूजसे मिले। भारतीय रीतिसे स्वागत किया गया। उस दिन रवीन्द्रनाथ वहाँ नहीं थे।
फरवरी १९: गोपाल कृष्ण गोखलेका पूनामें देहावसान।
फरवरी २०: शान्तिनिकेतनमें गोखलेके निधनपर शोक-सभामें भाषण। शोकमें एक वर्ष तक नंगे पैर रहनेका व्रत लिया। ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय संघको तार देकर सार्वजनिक रूपसे शोक मनानेका सुझाव दिया। पूनाके लिए रवाना हुए।
फरवरी २१: लाहौर षड्यन्त्रका भण्डाफोड़ हुआ।
फरवरी २३: रेल-यात्राकी असुविधाओंके सम्बन्ध में पूर्व भारतीय रेलवेके ट्रैफिक मैनेजरको पत्र लिखा।
मार्च ३: गोखलेके निधनपर आयोजित सार्वजनिक शोकसभामें जिसकी अध्यक्षता बम्बईके गवर्नरने की, गांधीजीने मुख्य प्रस्ताव पेश किया। बम्बईके लिए रवाना हुए।
मार्च ४: मगनलाल गांधीको पत्र लिखा जिसमें अहमदाबादमें एक संस्था स्थापित करनेकी इच्छा व्यक्त की।
मार्च ५: शान्तिनिकेतन पहुँचे; रवीन्द्रनाथ ठाकुरसे भेंट।
मार्च १३: कलकत्तामें महाराजा कासिम बाजारके महलके मैदानमें स्वागत-समारोह्। हरिलाल गांधीने अन्तिम रूपसे गांधीजीसे अलग होनेका निर्णय किया।
मार्च १४: डॉ० प्राणजीवन मेहतासे मिलनेके लिए गांधीजी, रामदास और छगनलालके साथ कलकत्तासे ‘लंका’ नामक जहाजमें रंगूनके लिए रवाना हुए।
मार्च १७: रंगून पहुँचे।
मार्च १८: भारत सुरक्षा अधिनियम पास किया गया।
मार्च २६: गांधीजी रंगूनसे जहाज द्वारा कलकत्ताके लिए रवाना हुए।
मार्च २७: पूर्व भारतीय रेलवेके ट्रैफिक मैनेजरने गांधीजीके २३ फरवरीवाले पत्रका उत्तर देते हुए अतिरिक्त भाड़ा वापस करना स्वीकार किया।
मार्च ३१: कलकत्ताके कॉलेज स्क्वेयरमें पी० सी० लायन्सकी अध्यक्षतामें छात्रोंकी एक सभा हुई जिसमें गांधीजीने युवकोंको अराजकतापूर्ण कामोंमें भाग न लेनेकी सलाह दी।