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पत्र : बी० आई० एस० एन० कम्पनीके एजेंटगणको

प्रवासी जिन स्थितियों में अपने गन्तव्य स्थानोंकी यात्रा करते हैं उन स्थितियोंकी जाँच करना और जहाँ ये स्थितियाँ दोषपूर्ण हों वहाँ उनमें सुधार करवाना ।

संसारके सभी भागोंमें, जिनमें स्वशासित ब्रिटिश उपनिवेश भी सम्मिलित हैं, ब्रिटिश भारतीय प्रवासियोंके लिए प्रवेशकी शर्तों और निवासके सम्बन्धमें अन्य समस्त ब्रिटिश प्रजाजनोंके समान व्यवहार प्राप्त करना ।

प्रवासियोंके लाभार्थ एक सूचना-समिति चलाना।

एक ऐसा पुस्तकालय स्थापित करना और चलाना जिसमें उपनिवेशीय तथा विदेशी कानूनकी पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएँ एवं प्रवासियोंकी दिलचस्पीकी अन्य सब पुस्तकें हों।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६३०५) की फोटो-नकलसे ।

४६. पत्र : बी० आई० एस० एन० कम्पनीके एजेंटगणको

[ रंगून ]

मार्च १९, १९१५

एजेंटगण,
ब्रिटिश इंडिया स्टीम नेवीगेशन कम्पनी
महाशयो,

मैं श्रीमती गांधी तथा पाँच अन्य लोगोंके साथ 'लंका' नामक जहाजसे डेक श्रेणीमें कलकत्तेसे रंगून आ रहा था। वह जहाज कल यहाँ पहुँचा। पिछले कुछ दिनोंसे में डेक श्रेणीमें ही यात्रा करता आ रहा हूँ। मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि इस जहाजपर डेकमें यात्रा करनेवाले यात्रियोंके लिए की गई व्यवस्था जितनी अधिक शोचनीय है उतनी मैंने आजतक अन्य किसी जहाजपर नहीं देखी। डेकपर बहुत ज्यादा भीड़ थी, जिससे लोगोंको बड़ी असुविधा हो रही थी। जितने मुसाफिरोंको डेकके टिकट दिये गये थे, उसमें उन सबके बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं था। मेरे साथवाले लोगोंको रात्रिके समय पैर फैलाने लायक स्थान मिल गया, सो भी तब जब अन्य अनेक यात्री हम लोगोंके आरामकी चिन्ता कर रहे थे। मैंने अनेक यात्रियोंको यत्र-तत्र जैसे-तैसे सिमटे-सिकुड़े पड़े देखा। शौचालय बहुत ही ज्यादा गन्दे थे। बैठनेके स्थानों और दरवाजोंके बीचके फर्शको लोगोंने पेशाबखाना बना रखा था। पेशाबके बहनेके लिए कोई नाली नहीं दीख पड़ रही थी। इसलिए यात्रियोंके सामने बराबर पेशाब जमा रहता था । शौचालयोंकी दीवारें अत्यन्त गंदी और चिपचिपी थीं। दरवाजोंमें चटकनियाँ न थीं। और जो एकमात्र स्नानघर मेरी नजरमें आया, उसे भी यात्री पेशाबघरकी तरह काममें ले रहे थे।

१. १९१५ की डायरीके अनुसार १७ तारीखको । यही तारीख कम्पनीके उस पत्रसे भी ज्ञात होती है जिसे कम्पनीने २० मार्च १९१५ को गांधीजीके पत्रकी प्राप्तिको स्वीकार करते हुए तथा जहाजके शौचालयोंकी हालतके बारेमें जाँच करनेका वचन देते हुए लिखा था (एस० एन० ६१६८) ।