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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय
हो जाती है तथा लोगोंको अन्याय सहन करना पड़ता है। इसलिए, यह परिषद् सरकारसे सिफारिश करती है, वह प्रत्येक जिलेसे निर्वाचित सदस्योंका एक सलाहकार बोर्ड नियुक्त करे।
१०. हाल ही में गुजरातमें जहाँ-तहाँ प्रजाके हितका विचार किये बिना कुछ लोगोंने दूध [से मक्खन आदि निकालने] की मशीनें लगा रखी हैं और सरकार भी ऐसा ही कर रही है; फलस्वरूप लोगोंको दूध, घी आदि पौष्टिक खुराक नहीं मिलती। इसके लिए यह परिषद् सरकारको सुझाव देती है कि इन मशीनोंको तुरन्त बन्द कर दिया जाये।[१]
[गुजरातीसे]
गुजराती, ११-११-१९१७

१९. भाषण : समाज-सम्मेलनमें[२]

गोधरा
नवम्बर ५, १९१७

प्यारे भाइयो,

हम उन लोगोंके बीचमें हैं जिन्हें आप ढेढ, भंगी, अन्त्यज या ऐसा ही दूसरा नाम देते हैं। मेरा खयाल है कि मेरे पास यहाँ वकील और डॉक्टर तथा अन्य सज्जन भी बैठे हैं। हम आज कथित अवनत वर्गोसे मिल गये हैं। हमें अब स्वराज्य अवश्य मिल जायेगा। (करतल-ध्वनि)। हम हिन्दू और मुसलमान एक हो गये हैं; यहाँ हम इस ढेढ जातिसे मिल-जुल रहे हैं। हम यह न मानें कि इस जातिका दर्जा नीचा है; आप इस जातिसे हिल-मिलकर एक हो जायें और तब आप स्वराज्यके योग्य हो जायेंगे। हमने इस जातिके प्रति इतनी उपेक्षा बरती, यह हमने ईश्वरके सम्मुख पाप किया है; इसीलिए हमने इससे पूर्व स्वराज्यका अधिकार खो दिया था। हम अन्त्यजोंको छूनेसे क्यों झिझकते हैं? किसी भी समाजके धर्मग्रन्थमें यह नहीं कहा गया है कि हमें इस जातिको नहीं छूना चाहिए या उससे ऐसा व्यवहार करना चाहिए जैसा हम इस समय कर रहे हैं। जातियोंकी तुलनामें इस जातिको निम्नतम स्थान देना भूल है। मुझे विश्वास है कि जहाँ हृदय एक हो जाते हैं वहाँ ईश्वरका वास होता है। ईश्वर सर्वशक्तिमान् है; यद्यपि हममें से कुछ लोग इसपर विश्वास नहीं करते और इसीलिए

 
  1. गोधरासे नवम्बर ५, १९१७ को प्रकाशित एक पुस्तिकामें यह प्रस्ताव विस्तारपूर्वक दिया गया है जो सम्भवत: गांधीजी द्वारा तैयार नहीं किया गया था। यहाँ दिये गये प्रस्तावोंका मिलान ८-११-१९१७के मुम्बई समाचारमें प्रकाशित विवरणसे कर लिया गया है।
  2. गुजरात राजनीतिक परिषद् में एकत्रित उच्च वर्गोंके अनुरोधपर ढेढ जातिने अपनी एक सभा की थी। इसकी अध्यक्षता करते हुए गांधीजीने गुजरातीमें यह भाषण दिया था। अन्नास तैयबजी, विठ्ठलभाई जे॰ पटेल, रतनसी धरमसी, मोरारजी गोकलदास और अन्य लोग इसमें सम्मिलित हुए थे।