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प्रस्ताव : प्रथम गुजरात राजनीतिक परिषदमें—२

पुरुषोंको चूड़ियाँ पहनना शोभा नहीं देगा। मुहम्मदअली और शौकतअलीको छुड़वाने के लिए भी हमें प्रयत्न करना होगा। मुस्लिम लीगके अध्यक्षका पद खाली रहे, यह नहीं हो सकता।

[गुजरातीसे]
गुजराती, ११-११-१९१७

१८. प्रस्ताव : प्रथम गुजरात राजनीतिक परिषद् में—२[१]

नवम्बर ५, १९१७

५. काठियावाड़से ब्रिटिश हदमें आनेवाली कुछ-एक वस्तुओंपर, वीरमगाँव चुंगीके नामसे प्रसिद्ध जो सीमा-शुल्क लिया जाता है, माननीय वाइसरॉयने उसके हटा दिये जानेकी घोषणा की है। उसके लिए यह परिषद् उनको धन्यवाद देती है तथा उनसे उस प्रस्तावको तुरन्त अमलमें लानेका अनुरोध करती है।
६. हमेशासे चले आ रहे रिवाजके मुताबिक किसानोंसे भूमिकर दो किस्तोंमें न लेकर एक ही किस्त में लिया जाता है, जिससे गरीब खेतिहरोंको बहुत अधिक दिक्कत उठानी पड़ती है। तथा जीवन-निर्वाह करने के अपने विशेष उपकरणोंको बेचकर उक्त कर चुकाना पड़ता है। अन्तः, परिषद् सरकारसे प्रार्थना करती है कि भूमिकर दो किस्तोंमें वसूल किया जाये तथा किस्त लेते समय फसलकी स्थितिको ध्यानमें रखा जाये।
७. प्रत्येक जिलेके उप-विभागीय अधिकारी चौमासेमें जिलोंके सदर मुकाममें नहीं रहते। परिषद्के विचारानुसार उन्हें विभागके प्रमुख गाँवमें रहना चाहिए। दाहोदके जिला डिप्टी कलक्टरका दफ्तर कुछ अरसेसे बरसातमें गोधरा चला जाता है जिससे झालोद, भीमड़ी आदिकी जनताको काफी परेशानी उठानी पड़ती है तथा आने-जानेपर भी बहुत खर्च आ जाता है। इसलिए, यह परिषद् सरकारसे निवेदन करती है कि मुख्य कार्यालय दाहोदमें ही रहे।
८. भारत रक्षा कानूनके अन्तर्गत राजनीतिक कारणोंसे जिन स्त्री-पुरुषोंको नजरबन्द किया गया है यह परिषद् सरकारसे उन लोगोंको रिहा कर दिये जानेका अनुरोध करती है और अपनी यह राय प्रकट करती है कि माननीय वाइसरॉय द्वारा व्यक्त, श्री मॉण्टेग्युके यहाँ पधारनेपर सर्वत्र शान्तिकी इच्छा तभी फलीभूत होगी जब सब कैदियोंको मुक्त कर दिया जायेगा।
९. राजस्व-सम्बन्धी मामलों और जिलेमें शान्ति सुव्यवस्था बनाये रखनेके सम्बन्धमें कलक्टर फिलहाल तो मामलतदारों और पुलिस द्वारा पेश किये गये इकतरफा तथ्योंपर ही निर्भर करते हैं, उससे अनेक बार जिलेके प्रशासनमें बहुत बड़ी भूल
 
  1. ये प्रस्ताव परिषद्के तीसरे दिन पेश किये गये थे और सम्भवत: इनका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था।