पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/१३७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०७
भाषण : नडियादमें


'इंडियन ओपिनियन' के जिस अंकसे बाढ़ोंसे हुए इस विनाशकी खबर मिली उसीसे श्री अब्दुल गनीकी[१] दुःखद मृत्युकी खबर भी मिली। कृपया उनके परिवारके सदस्योंके प्रति हमारी ओरसे ससम्मान संवेदना व्यक्त कर दें। श्री अब्दुल गनीने समाजकी जो सेवाएँ की हैं वे कभी भुलाई नहीं जा सकतीं। अपने संतुलित निर्णय और सहज शिष्टताके गुणके कारण उन्होंने प्रतिष्ठा पाई थी। उन्होंने सार्वजनिक समस्याओंको जिस बुद्धिमत्तासे सुलझाया है उससे यह बात सिद्ध हो जाती है कि अंग्रेजीके ज्ञान या आधुनिक शिक्षणके बिना देशकी प्रभावकारी सेवा की जा सकती है। मैं यह भी देखता हूँ कि हमारे दक्षिण आफ्रिकावासी लोग अभीतक व्यापारिक परवानों और देशत्यागके प्रमाणपत्रोंसे सम्बन्धित कठिनाइयोंसे मुक्त नहीं हुए हैं। मेरे भारतके अनुभवसे मेरी यह राय पक्की हो गई है कि ऐसी बुराइयोंका इलाज सत्याग्रहके सिवा दूसरा नहीं है। समाजको पहले अपेक्षाकृत नरम उपायोंका आश्रय लेना चाहिए; किन्तु मैं आशा करता हूँ कि इसके कारण सत्याग्रहकी तलवारका प्रयोग बन्द नहीं किया जायेगा और उसे जंग नहीं लगने दी जायेगी। जबतक यह युद्ध चलता है तबतक हमारा कर्त्तव्य है कि अभीष्ट सहायता प्राप्त करने के लिए हम आवेदन-निवेदनों आदिका आश्रय लेकर ही सन्तोष करें; किन्तु मेरे खयालसे सरकारको यह जान लेना चाहिए कि जबतक उक्त प्रश्नोंका सन्तोषजनक समाधान नहीं हो जाता तबतक भारतीय समाज चैन न लेगा। यह भी उचित ही है कि मैं समाजको आन्तरिक खतरोंसे सावधान कर दूँ। दक्षिण आफ्रिकासे आये हुए लोगोंने मुझे बताया है कि हमारा समाज उन लोगोंसे कदापि सर्वथा मुक्त नहीं है जो गैर-कानूनी व्यापारमें लगे हैं। जो लोग न्याय पाना चाहते हैं उनका व्यवहार सन्देहातीत होना चाहिए; मुझे आशा है कि हमारे नेता जबतक इन आन्तरिक दोषोंको दूर न कर लेंगे, तबतक दम न लेंगे।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, ४-३-१९१८

४६. भाषण : नडियादमें[२]

नडियाद
दिसम्बर १६, १९१७

...श्री गांधीने निकट भविष्यमें होनेवाले परिवर्तनोंका उल्लेख किया और कहा कि सबको केवल अपने देशके हितमें ही कार्य करना चाहिए। अगर सब ऐसा करें तो

 
  1. नेटालके प्रमुख व्यवसायी; ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष, १९०३-७।
  2. गांधीजीके वहाँ पहुँचनेपर नडियादकी होमरूल लीगके सदस्योंने स्टेशनपर उनका स्वागत किया और जुलूसके साथ वे उनको गोकुलदास द्वारकादास तलातीके घर ले गये। गुजरात राजनीतिक परिषद् में पास किये हुए प्रस्तावोंको कार्यान्वित करनेके सम्बन्धमें कौन-कौनसे कारगर तरीके काममें लाये जायें इसपर एक निजी वैठकमें विचार किया गया। तत्पश्चात् रातको ८ बजे गांधीजीने एक सार्वजनिक सभामें भाषण दिया, जिसमें लगभग ५,००० लोग उपस्थित थे। इसके उपरान्त गांधीजी हिन्दू अनाथालय देखने गये और कुछ देर बाद नडियादसे रवाना हो गये।