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४५. पत्र. 'इंडियन ओपिनियन'को[१]

मोतीहारी
दिसम्बर १५, १९१७

मैं जब दक्षिण आफ्रिकासे चला था, तब मैंने अपने दक्षिण आफ्रिकी भारतीय और अंग्रेज मित्रोंको समय-समयपर पत्र लिखते रहनेका पक्का विचार किया था; किन्तु भारतमें मेरी दशा मैंने जैसी सोची थी उससे बिलकुल भिन्न हुई। मुझे यहाँ अपेक्षाकृत अधिक शान्ति और अवकाश मिलनेकी आशा थी; किन्तु मैं अनिवार्यतः अनेक प्रवृत्तियोंमें फँस गया हूँ। मैं ये प्रवृत्तियाँ और स्थानीय दैनिक पत्र-व्यवहार मुश्किलसे ही सँभाल पा रहा हूँ। मेरा आधा समय रेलगाड़ियोंमें बीतता है। मुझे आशा है, मेरे दक्षिण आफ्रिकी मित्र, मैं जो उनकी उपेक्षा करता जान पड़ता हूँ, उसके लिए मुझे क्षमा करेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूँ कि अबतक ऐसा एक भी दिन नहीं गया जिस दिन मुझे उन लोगोंका और उनकी कृपालुताका खयाल न आया हो। मेरे दक्षिण आफ्रिकाके साथी-सहवासी मेरी स्मृतिसे कभी उतर नहीं सकते।

अब आपको यह जानकर आश्चर्य न होगा कि मुझे इन विनाशक बाढ़ोंकी खबर, 'इंडियन ओपिनियन' आया, तब उसे आज पढ़नेपर ही मिली है। मैं अपने प्रवासमें अखबार कम ही पढ़ता हूँ और जब प्रवासमें नहीं होता, तब भी उनपर एक दृष्टि ही डालता हूँ। मेरे इस पत्रका उद्देश्य पीड़ितोंके प्रति अपनी सहानुभूति भेजना है। मैं अपने मनमें उनके कष्टोंकी यथार्थ कल्पना कर सकता हूँ। उनसे हमें ईश्वर और उसकी शक्तिका एवं इस जीवनकी क्षणभंगुरताका ध्यान आता है। उनसे हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि हम सदा उस ईश्वरकी ही शरणमें जायें। कभी अपने दैनिक कर्त्तव्योंमें न चूकें। धर्मराजके हिसाबमें केवल हमारे कर्म ही अंकित किये जाते हैं, हमारा कथन नहीं। इस समय मेरे मनमें ये और ऐसे ही विचार उठ रहे हैं और मैं चाहता हूँ कि उन्हें में पीड़ितोंके सम्मुख भी रखूँ। मैंने इस देशमें जो भारी गरीबी देखी है, उसके कारण मैं बाढ़-पीड़ित गृहहीन लोगोंको कोई आर्थिक सहायता भेजनेका खयाल नहीं कर सकता। इस देशमें एक पाईका भी महत्त्व है। मैं इस समय ऐसे लोगोंके बीच रह रहा हूँ जिनमें से हजारोंको चना-चबेना या सत्तूके सिवा कुछ नहीं मिलता जिसे वे नमकके साथ पानीमें घोलकर खा लेते हैं। इसलिए हम पीड़ितोंको अपने हार्दिक दुःखका विश्वास ही दिला सकते हैं।

मुझे आशा है ऐसा उग्र आन्दोलन किया जायेगा कि जिन घरोंकी प्राणघाती बाढ़ोंका खतरा रहता है उनमें रहना गैर कानूनी करार दे दिया जाये। गरीब लोग यदि रह सकेंगे तो परिणामोंकी परवाह न करके ऐसी जगहों में भी रहेंगे। उनका ऐसी जगहोंमें रहना असम्भव कर देना शिक्षित लोगोंका काम है।

 
  1. यह "दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंको सलाह" शीर्षकसे प्रकाशित हुआ था।