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७३. पत्र : रामभाऊ गोगटेको
[मोतीहारी]
पौष सुदी २ [जनवरी १४, १९१८]
भाई रामभाऊ,
आपका पोस्टकार्ड मिला। रकम मुझे इन्दौरमें दे देनेसे भी काम चलेगा।[१]
मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्
भाई रामभाऊ गोगटे
पुराना नोक खाना
मकान नं॰ ३३२
- गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ३६१५) से।
- सौजन्य : भाई कोतवाल
७४. पत्र : एल॰ एफ॰ मॉर्सहैड
मोतीहारी
जनवरी १५, १९१८
सेवामें
एल॰ एफ॰ मॉर्सहैड
कमिश्नर
तिरहुत डिवीजन
बिहार
मुझे आपका इसी १४ तारीखका पत्र[२] मिला। अबतक मैं सारा विधेयक बहुत ध्यानसे पढ़ चुका हूँ। मैं समझता हूँ कि मुझे अपना वह विचार जो मैंने आपसे बातें करते समय श्री कैनेडीके संशोधनके[३] सम्बन्धमें व्यक्त किया था, बदलना होगा। मेरा खयाल है कि यदि उक्त संशोधनमें समस्त खण्ड ३ का समावेश करना है तो इससे काम न चलेगा। आपने जिस संशोधनपर 'क' अंकित किया है उसे में खण्ड ३ की धारा