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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

तुम्हें जो ऐसा महसूस होता है कि तुम्हारे कोई भाई नहीं है, वैसा फिर न होगा। तुम्हें यहाँ एकके बजाय बहुत-से भाई दिखाई देंगे और तुम यहाँ बहुत-से बच्चोंकी माँ बनकर रहोगी, यही शुद्ध वैष्णव धर्म है। जबतक तुम्हें यह न जँचे, तबतक हमें वियोगका दुःख सहना ही पड़ेगा।

मोहनदासके प्रणाम

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४

११२. पत्र : निर्मलाको

[साबरमती]
फरवरी ११, १९१८

चि॰ निर्मला[१],

यह पत्र रलियातबेनको पढ़वा देना। तुम्हें तो मैं क्या लिखूँ? तुम्हारे लिए मुझे इतने अधिक काम दिखाई देते हैं कि मैं उनसे तुम्हारे समस्त जीवनको सौन्दर्यसे भर दूँ और तुम्हारा वैधव्य विस्मृत करा दूँ। कुछ स्त्रियाँ मुझे सहायता दे रही हैं। दुर्भाग्यसे तुम्हारी सहायता मुझे नहीं मिल पाती। जैसे मैं रलियातबेनको दोष देता हूँ, वैसे तुम्हें नहीं दे सकूँगा, क्योंकि तुम्हें तो बुजुर्गोको खुश करना पड़ता है, पिताको और बहनको। किन्तु यदि तुम्हारी इच्छा मेरी सहायता करनेकी हो, तो तुम उनसे अपने लिए अनुमति ले सकती हो। इतना ही नहीं, बल्कि तुम रलियातबेनको भी यहाँ ला सकती हो; क्योंकि तुम्हारे बिना तो वह जियेगी ही नहीं। मैं यह मानता हूँ कि किसी-न-किसी दिन तो तुम मेरे पास जरूर आओगी। तुम इतना तो समझती होगी कि अगर गोकुलदास जीवित होता तो वह मुझसे एक क्षण भी दूर नहीं रह सकता था। मेरे साथ रहकर तुम गोकुलदासकी आत्माको भी शान्ति दे सकती हो।

बा बिहारमें है। वह अक्सर तुम्हारी याद करती है। मुझे अभी कुछ समय तक इधर ही रहना पड़ेगा।

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४

 
  1. गांधीजीके भानजे गोकुलदासकी विधवा पत्नी।