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गोखले और उनका महामंत्र

किया था । लोक-जागृति राजनीतिक प्रगति द्वारा ही हो सकती है, यह तो सबके ध्यानमें आ गया था, [ किन्तु ] गोखलेने अपने भारत सेवक समाज और जनताके समक्ष यह भव्य विचार पेश किया कि यदि इस प्रवृत्तिको धर्मका स्वरूप दिया जायेतो राजनीतिक प्रवृत्ति मोक्षका रास्ता दिखानेवाली भी होगी। उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि हमारी राजनीतिक प्रवृत्ति में जबतक धर्मवृत्तिका प्रवेश नहीं होता,तबतक वह शुष्क ही रहेगी।

'टाइम्स ऑफ इंडिया' के लेखकने गोखलेकी मृत्युपर लिखते हुए उनके कार्यकी इस विलक्षणताकी ओर ध्यान खींचा था और इस तरह राजनीतिक संन्यासी निर्माण करनेका उनका प्रयत्न सफल होगा या नहीं, इस विषयमें शंका प्रकट करके उनके द्वारा स्थापित भारत सेवक समाजको सावधान किया था। इस जमानेमें राजनीतिक संन्यासी ही संन्यासकी शोभा बढ़ा सकेंगे, दूसरे तो प्राय: भगवेको लजायेंगे ही। शुद्ध धर्म-मार्गपर चलनेवाला कोई भी भारतवासी राजनीतिक कार्योंमें भाग लिये बिना नहीं रह सकता। दूसरे शब्दों में कहें तो शुद्ध धर्ममार्गी लोकसेवाको अपनाये बिना रह ही नहीं सकता । और राजतन्त्रके जालमें हम सब इतन अधिक जकड़े हुए हैं कि उसमें पड़े बिना लोकसेवा सम्भव ही नहीं है। जो किसान पुराने समयमें राज्याधिकारी कौन है यह जाने बिना ही अपना सरल जीवन निर्भयतापूर्वक बिता सकते थे, उनकी भी अब वैसी निराली स्थिति नहीं रह गई है । ऐसी हालत में उन्हें धर्माचरणके निर्णयमें राजनीतिक परिस्थितिका विचार करना ही होगा। इस बड़ी बातको यदि हमारे साधु, ऋषि, मुनि, मौलवी और पादरी स्वीकार करें, तो जगह-जगह भारत सेवक समाज खड़ा हो जाये और हिन्दुस्तानमें धर्मवृत्ति इतनी व्यापक बन जाये कि आजका अप्रिय और अरुचिकर मालूम होनेवाला राजतन्त्र शुद्ध हो जाये, हिन्दुस्तानमें किसी समय जो धार्मिक साम्राज्य फैला हुआ था उसकी पुनः स्थापना हो जाये, भारतमाताके बन्धन एक क्षणमें टूट जायें और एक प्राचीन द्रष्टाकी अमर वाणीमें वर्णित यह स्थिति उत्पन्न हो जाय तब लोहेका उपयोग तलवार बनानेमें नहीं, हल बनानेमें होगा और सिंहके साथ बकरी मित्रभावसे विचरण करेगी।[१] ऐसी स्थिति उत्पन्न करनेवाली प्रवृत्ति ही गोखलेका जीवन-मन्त्र थी । यही उनका सन्देश है और मैं मानता हूँ कि जो भी व्यक्ति उनके भाषण सरल मनसे पढ़ेगा, उसे यह मन्त्र उनके शब्द-शब्दमें गूंजता मालूम होगा ।

मोहनदास करमचन्द गांधी

[ गुजरातीसे ]

गोपालकृष्ण गोखलेना व्याख्यानो, खण्ड १


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