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भाषण : अहमदाबादकी सभा में

सामने स्वराज्यपर भाषण देना तो ठीक होगा परन्तु राष्ट्रीय शिक्षापर बोलना बेकारसा है । इस सभामें जितने शिक्षित व्यक्ति होने चाहिए थे उतने मौजूद नहीं हैं। फिर भी वे आपके सामने बोलेंगी। मैं जो आपके सामने गुजरातीमें बोल रहा हूँ, उनकी अनुमतिसे बोल रहा हूँ । मुझे आपके समक्ष अपने विचार गुजरातीमें ही व्यक्त करने चाहिए । उनके भाषणका भावार्थं गुजरातीमें बादमें सुना दिया जायेगा। उन्होंने वर्तमान वातावरण में जो आन्दोलन खड़ा किया है उससे अनेक लाभ हुए हैं। भारत उनकी संगठन शक्ति और उनकी भाषण कला और उनके कार्योंसे लाभान्वित हुआ है । उन्हें सम्मानित करने का सबसे पहला कदम शान्तिपूर्वक उनका भाषण सुनना है ।

[ गुजरातीसे ]
प्रजाबन्धु, १७-३-१९१८


१७०. भाषण : अहमदाबादको सभामें[१]

मार्च १३, १९१८

भाषणके प्रारम्भमें गांधीजीने सभामें उपस्थित लोगोंसे शान्त रहनेको कहा और सभाओं में समयपर आनेका महत्त्व समझाया। उन्होंने यह भी कहा कि अब बादमें आनेवाले लोगोंको फाटकके बाहर ही खड़े रहना पड़ेगा ।

आजके भाषणका विषय हमारे ही हितसे सम्बन्धित है और वह स्वराज्यके बारेमें है । धन, सम्मान और शक्ति ये सब वस्तुएँ स्वराज्यमें ही निहित हैं । इस महिलाके भाषणकी एक बात हमें और वैसे ही सरकारको भी हृदयंगम कर लेनी चाहिए और वह बात यह है कि भारतमें या तो स्वराज्य होना चाहिए या भूख-हड़ताल होनी चाहिए । यह बात सब लोगोंको समझ लेनी है। भारत फिलहाल सत्ताके अभाव में दिन-प्रतिदिन निर्धन होता जा रहा है और गरीबी इस अवस्था तक पहुँच गई है कि जिसके कारण हजारों व्यक्तियोंको अकरणीय कार्य करने पड़े हैं। भूख हड़तालका अर्थ यह है कि चार दिनोंसे भूखा व्यक्ति क्या नहीं कर सकता ? श्रीमती बेसेंट आज इसी बातको स्पष्ट करनेके लिए भाषण देनेवाली हैं। यदि श्रीमती बेसेंटके कुछ आलोचकोंको सफलता मिलती है तो उसका कारण केवल यही है कि वे कर्मठ हैं और अपने कार्यमें लीन रहती हैं । उसमें उन्होंने अपना तन, मन और धन न्योछावर कर दिया है। वे जो कुछ कहना चाहती थीं उसे वे हमारे सामने रख चुकी हैं परन्तु उनके सुझाये मार्गपर चलकर हम अपने लक्ष्यकी प्राप्ति नहीं कर सकते; हमारा बेड़ा तो अपने ही मार्गपर चलनेसे पार हो सकता है । आज अहमदाबादने उनका जो सम्मान किया है वह यदि सच्चे हृदयसे स्फुरित हुआ है तो आप लोग ईश्वरसे यह प्रार्थना करें कि उसने जो शक्ति उन्हें दी है

 
  1. शामको गांधीजीको अध्यक्षतामें एक और सभा हुई थी जिममें बेसेंटने “वर्तमान राजनीतिक स्थिति में हमारा कर्तव्य " विषयपर भाषण दिया था ।