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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हूँ कि आप अपनी शक्तिका अच्छा और सच्चा उपयोग करें। खेड़ामें एक “सत्याग्रही सेना” का जन्म हो और वह भारतके सम्मानकी रक्षाके लिए सदा लड़नेके लिए तैयार रहे, यह अत्यन्त वांछनीय है। आपके कस्बेसे, जहाँ बहुतसे बलवान और वीर लोग रहते हैं, देशको बहुत-सी आशाएँ रखनेका अधिकार है।

खेड़ा जिलेके लोगोंमें जो अद्भुत शक्ति है उसका मुझे इन दिनों अच्छा अनुभव हो रहा है। यदि इस लड़ाईमें ली गई धर्म-प्रतिज्ञाका पालन सभी भाई करें तो इसमें सन्देह नहीं कि हमें चौबीस घंटेमें स्वराज्य मिल सकता है।

इसलिए आप सबसे मेरी एक ही प्रार्थना है कि सरकार आपके बर्तन-भांडे बेचे, आपकी चारपाइयाँ बेचे और आपके ढोर-डंगर बेचे तो उसे बेचने दें; परन्तु आप डरें नहीं; डिगें नहीं। आपसे मैं यही वचन-दान चाहता हूँ। मैं इस वचनका भूखा हूँ। आप मुझे यह दान देकर सन्तुष्ट कर सकते हैं। इस प्रतिज्ञाका पालन करनेके लिए आपको प्रेमभावकी पूँजी लेकर जूझना है। आपकी शक्तिको परखकर ही मैंने आपको सत्याग्रहकी लड़ाई में उतारा है। आप प्रसन्नतापूर्वक शुद्ध हृदयसे और मुसकराते हुए मुझे यह वचन देकर निर्भय करें।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२१०. भाषण : नवागाँवमें[१]

अप्रैल ७, १९१८

हम लोग यहाँ तोरणासे सीधे चले आ रहे हैं। जैसे नवागाँव और दसकोसी [ताल्लुके] के दूसरे गाँवोंके किसान डटे हुए हैं वैसे ही तोरणाके किसान मजबूतीसे सामना कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि ऐसा भारी हमला होनेपर भी तोरणाका पतन नहीं होगा। आप सत्यकी नींवपर खड़ी की गई इस लड़ाईको चालू रखें। आप अपने कार्य में बहनोंको भी साथ रखें। उनका साहस और धैर्य हमारे काम आयेगा। बहनें कहें कि भैंसोंका जाना तो बरदाश्त नहीं होता और हम इस नुकसानके डरसे हार जायें तो हमारे लिए खड़े होनेकी जगह न रहेगी। यदि वे हमें हिम्मत देती रहें तो हम इस लड़ाईमें जीत जायेंगे। स्वराज्यकी ओर पहला पग है धर्मपूर्वक ली गई टेकको पूरा करना। इस शक्तिको प्राप्त करनेमें ही स्वराज्य है। अपने अधिकारोंको जानना और उनकी रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है। इस लड़ाईका मूल उद्देश्य यह है कि सरकार लोकमतका सम्मान करके हमारे अधिकारोंको स्वीकार करे।

हमें इस लड़ाई में सामान्य शिष्टताकी मर्यादाओंका उल्लंघन नहीं करना चाहिए। ऐसी शिकायतें आई हैं कि हममें से कुछ लोगोंने अधिकारियोंको तंग किया है। असत्य और

  1. गांवोंमें दौरा करते समय गांधीजी यहाँ भी अपनी मण्डलीके साथ गये थे। उनका भाषण सुननेके लिए ३,००० से अधिक किसान आये थे।