पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/३२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०८. भाषण : खेड़ामें

अप्रैल ६, १९१८

सत्यके लिए प्राण उत्सर्ग कर देना अच्छा है। लेकिन आर्थिक हानिके भयसे पशुओंके समान दुःख णोगनेसे अधिक बुरी दूसरी बात कुछ नहीं है। बहनें सत्यकी इस लड़ाई में अपने पतियोंका साथ दें और इस प्रकार उन्हें अपनी टेक दृढ़तापूर्वक निभानेमें सहायता देकर अपने धर्मका पालन करें।

[गुजरातीसे]
खेड़ासत्याग्रह
 

२०९. भाषण : उत्तरसंडामें[१]

अप्रैल ६, १९१८

मुझे आशा थी कि इस सभामें बहनें भी आयेंगी। इस कार्यमें जितनी जरूरत पुरुषोंकी है उतनी ही बहनोंकी भी है। यदि हमारी लड़ाईमें बहनें सम्मिलित हो जायें और हमारे कष्टोंमें साथ दें तो हम बहुत-अच्छा काम कर सकते हैं।

मैं देखता हूँ कि लोगोंका उत्साह बढ़ता जाता है। यह लड़ाई लोगोंकी है और यदि वे समझ जायें तो सरकार जबतक चाहे लड़ती रहे, हम हारेंगे नहीं। लोगोंकी हिम्मत देखनेका वक्त तो आखिर अब आया है। हमारा माल-असबाब जब्त किया जाता है और हमारी भैंसें ले जाई जाती हैं। जैसे सोना आगमें तपकर शुद्ध होता है उसी तरह ऐसे कष्टोंसे हमारी कसौटी होती है। इस लड़ाईमें आप हिम्मत, दृढ़ता और धीरता सीखते हैं।

इस कस्बेमें सरकारने यथासम्भव कड़ी कार्रवाई की है। किन्तु हमें संसारको दिखा देना है कि हममें तेज है, कष्ट सहनेकी शक्ति है और हम अपनी प्रतिज्ञासे कभी पीछे पाँव न हटायेंगे। उत्तरसंडा पाटीदारोंसे भरा है और यदि इस लड़ाईमें हमारी जीत होनी है तो वह आपकी जातिके ही बलपर होगी। आपने वैभव देखा है, अच्छे दिन देखे हैं और बुरे दिन भी देखे हैं। मैं चाहता हूँ कि इस लड़ाईमें आप वीरतापूर्वक उत्तीर्ण हों। आपने इस लड़ाईमें भाग लिया है यह आपकी कुलीनताका, आत्मसम्मानकी भावना का सूचक है।

कुछ लोग शायद आपको शस्त्रबल आजमानेकी सलाह दें। किन्तु आपको याद रखना चाहिए कि जो लाठी चलाता है वह लाठीका प्रहार रोक भी सकता है। मैं चाहता

  1. गांधीजी उत्तरसंडामें कस्तूरबा, वल्लभभाई पटेल, महादेव देसाई, शंकरलाल बैंकर और अनसूया-बेनके साथ गये थे। सभामें लगभग दो हजार किसान आये थे।