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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि आप इस प्रतिज्ञापर कायम रहें। यह मेरी विनम्र सलाह है। इस प्रतिज्ञासे आत्म-शुद्धि होगी और समस्त दुःखोंका निवारण हो जायेगा।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह
 

२४१. पत्र: तमिल भाइयोंको[१]

[नडियाद]
अप्रैल १९, १९१८

[प्रिय मित्रो,]

इतनी अधिक संख्यामें आप लोगोंके हस्ताक्षरोंके साथ पत्र पाकर बड़ी प्रसन्नता हुई। जहाँतक हो सकेगा, जल्दी ही मैं आपके लिए शिक्षक भेजूँगा। मैं किसी ऐसे व्यक्तिकी तलाशमें हूँ, जो अपने हिन्दी-प्रेमसे प्रेरित होकर आपको हिन्दी सिखानेके लिए स्वेच्छासे आगे आये। इस महान् राष्ट्रीय प्रयत्नकी सफलता इसीपर निर्भर है कि खुद मद्रास प्रान्तमें लोग कितना काम करते हैं। मुझे दृढ़ विश्वास है कि तमिल भाई-बहन अवसरके अनुरूप ही शौर्य दिखायेंगे। हम हिन्दी भाषाको हिन्दुस्तानके एकसे दूसरे सिरेतक परस्पर व्यवहारकी आम भाषा बना दें, तो फिर राष्ट्र-सेवा करनेकी हमारी शक्ति कोई भी सीमा स्वीकार नहीं करेगी।

[आपका,]

[अंग्रेजीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई

 

२४२. भाषण: कासरमें[२]

अप्रैल २०, १९१८

मैं यहाँ अधिक कहना नहीं चाहता। गाँवकी स्थिति कैसी है इस सम्बन्धमें मैंने जानकारी ले ली है। जहाँ गाँवके लोगोंमें समता और दृढ़ता होती है, वहाँ परिणाम तो अच्छा होता ही है। आपको चौथाईका नोटिस दिया गया है। आपकी भैंसे कुर्क कर ली गई हैं। आपके गहने भी जब्त कर लिये गये हैं। आपने यहाँतक तो सहन कर लिया। अब जमीनोंकी जब्तीका प्रश्न आया है। आप यह बात निश्चित रूपसे

  1. हिन्दी सीखनेके इच्छुक २३ वकीलों और स्नातकोंने गांधीजीले एक अध्यापक भेजनेका अनुरोध किया था। यह पत्र उसीके उत्तर में लिखा गया था।
  2. गांधीजी २० अप्रैलको कस्तूरबा, मनु सूबेदार वल्लभभाई पटेल और अन्य लोगोंके साथ आनन्द ताल्लुके में कासर, अजरपुरा और समरखा गये थे और किसानों की सभाओंमें बोले थे