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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

फसल चार आनेसे कम हुई हो तो लगान मुलतवी कर दिया जाये; किन्तु अधिकारी कहते हैं कि लगान मुलतवी करना सरकारकी मेहरबानी पर निर्भर है और सरकार चाहे तो ही यह मेहरबानी कर सकती है। यह स्पष्ट अन्याय है। राजसत्ता एक ही तरहसे चल सकती है और वह है लोकमतका सम्मान करके।

हमारी लड़ाई केवल लगान मुलतवी कराने के लिए नहीं है। ऐसी राहतके लिए की गई लड़ाई तो तुच्छ होती। परन्तु इस लड़ाईके पीछे जो महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, हम उसके लिए लड़ रहे हैं। और यह मुद्दा है प्रजासत्ताक राज्यका। इससे प्रजासत्ताक राज्यका पुनरुद्धार होगा। लोग अब जाग्रत हो गये हैं और अपने अधिकारोंको समझने लग गये हैं। इन अधिकारोंको भलीभाँति समझना ही स्वराज्य है। इस लड़ाईके मूलमें जो तत्त्व हैं उन्हें सींचकर उगाना चाहिए ताकि इस बड़की शीतल छायाकी भाँति भावी सन्तानोंको उनके मधुर फल मिलें। यह लड़ाई इसी उद्देश्यकी सिद्धिके लिए है। सरकार चाहे तो हमपर हँस सकती है; किन्तु आपको समझ लेना चाहिए कि यह लड़ाई थोड़ेसे पैसोंकी लड़ाई नहीं है, बल्कि इससे भावी प्रजासत्ताक राज्यतन्त्रकी इमारतकी नींव पड़ेगी।

यदि लोग कायर होकर अपने अधिकारोंको छोड़ देंगे तो वे पतित हो जायेंगे। भारतीय लोगोंके प्रति सहानुभूति रखनेवाले उनके प्रेमी मित्र सर विलियम वेडरबर्न जबतक जीवित रहे, यह कहते रहे कि भारतमें ज्यों-ज्यों ग्राम-पंचायतें नष्ट होती गईं, त्यों-त्यों लोगोंके हाथसे स्वराज्यकी कुंजी निकलती गई। ग्राम पंचायतोंका उद्धार पुस्तकें लिखनेसे न होगा। यदि गाँवोंके लोग यह समझ जायें कि वे अपने-अपने गाँवोंकी व्यवस्था कैसे कर सकते हैं तभी यह कहा जा सकेगा कि स्वराज्यकी सच्ची कुंजी मिल गई।

सत्याग्रह की लड़ाई व्यापक है। हमारा जीवन सत्यपर टिका हुआ है। यदि जब्ती आये और कोई चीज न हो तो आप कह दें कि आपके पास कुछ नहीं है। यदि आपके यहाँ माल रखा हो और आपको देना न हो तो साफ कह दें कि आपके पास माल है; किन्तु आप उसे देना नहीं चाहते।

यदि आप सरकारी अधिकारियोंको खाने-पीनेका सामान न देना चाहते हों तो आप उन्हें तुरन्त ना कह दें। परन्तु आप उन्हें यह तो कह नहीं सकते कि हमारे पास अन्न न होने के कारण हम खाने-पीनेकी सामग्री नहीं दे सकते। सत्याग्रहीको समस्त अवसरों पर सत्य ही बोलना चाहिए। सत्याग्रहके सिद्धान्तोंको पूरी तरह समझकर सत्यानुकूल और नीतिमय आचरण करना चाहिए। सत्य ही भगवान् है। आपके गहने या आपकी जमीन भले ही चली जाये; परन्तु आपका धर्म नहीं जाना चाहिए। मेरी प्रार्थना है कि ईश्वर आपको अपनी प्रतिज्ञाके पालनकी शक्ति दे। इस प्रकार धर्मको पुनः स्थापनामें स्वराज्यकी कुंजी निहित है।

[गुजरातीसे]
खेड़ा सत्याग्रह