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भाषण: नडियादमें

भूलाभाईने[१] जो किया पूरी तरह सोच-विचार कर किया है। यदि इसमें कोई गलती है तो वह मेरी है; और फिर भी मैं अनुभव नहीं करता कि मैं किसी तरह गलतीपर हूँ। मैंने बड़ी कोशिश करके मामला कलक्टरके पास बदलवाया था। यह परीक्षात्मक मामला था। मैंने कलक्टरको पहले ही कह दिया था कि मैं उनके निर्णयके खिलाफ अपील करने नहीं जाऊँगा; और मेरा अब भी वही विचार है। न्यायालयका निर्णय अन्यायपूर्ण है और सजा कड़ी है। कोई भी यह आशा नहीं कर सकता कि न्यायाधीश के आसनपर बैठा व्यक्ति सत्याग्रही हो, क्योंकि कानून सत्याग्रहको स्वीकार नहीं करता। यह एक ऐसा मामला है जिसमें यदि हम अपील करें तो निश्चित रूपसे सफल होंगे। हम इस मुकदमेको इसलिए नहीं हारे कि मैंने या वल्लभभाईने किसी भी गवाहसे जिरह नहीं की। कोई भी निष्पक्ष न्यायाधीश जिसे कानूनका ज्ञान होता, कह सकता था कि जो तथ्य सामने हैं उनके आधारपर इसे अपराध नहीं माना जा सकता। इसके बावजूद हम अपील करने नहीं जा रहे हैं। सत्याग्रही ऐसा नहीं कर सकता। उनके लिए जेल जाना सबसे अच्छा मार्ग है। यदि सजा और भी कड़ी होती तो मुझे और भी खुशी होती। कलक्टरने आदेश दिया है कि प्याजको जब्त कर लिया जाये। यदि सरकार प्याजको हजम करनेका साहस कर सकती है तो उसे वैसा करने दें। किन्तु नवागांवके बहुत-से मित्रोंसे जो यहाँ उपस्थित हैं मैं यह कहना चाहता हूँ कि भूलाभाईपर लगानके जो ९४ रुपये बाकी हैं, उन्हें कलतक मामलतदारको निश्चित रूपसे चुकता कर देना चाहिए। हमें समझौतेका सम्मान करना है। मैं नडियादमें होनेवाले जिला सम्मेलनमें भी यही कहने जा रहा हूँ। इस घटनासे कटुता उत्पन्न होने की सम्भावना है, किन्तु यदि हम पर्याप्त उदारता दिखाकर इसे भुला दें तो सरकारको अपना वादा तोड़ने के लिए सदैव खेद बना रहेगा। कलक्टरने क्रोधके वशीभूत होकर ऐसा किया है। सजा इसलिए दी गई कि लोगोंने उनके आदेशके बावजूद प्याज खोद निकाला। यदि उन्होंने इस मामलेपर शान्तिपूर्वक विचार किया होता तथा कुछ अधिक सावधानीके साथ कानूनका अध्ययन किया होता तो उन्हें मालूम हो गया होता कि इस कार्यमें कोई अपराध नहीं है। यदि हमें अधिकारियोंको शिक्षित करना हो, तो हमें इसी प्रकारका काम बार-बार करना चाहिए, और तब वे समझ जायेंगे कि इस प्रकारके बहादुर लोगोंको कोई भी सजा नहीं दी जा सकती, उनके साथ तो प्यारसे हाथ मिलाना ही उचित है। यदि हम अधिकारियोंपर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें उनके साथ व्यवहार करते समय ईमानदार तथा नम्र होना चाहिए। हम विचारहीन अधिकारियोंके सामने कभी भी न झुकें, बल्कि यदि आवश्यकता पड़े तो प्याज खोदकर निकालें और हजार बार जेल चले जायें।

नवागाँवके मेरे भाइयो, इस अवसरको आप शुभ समझें। आपके कसबेके ५ मित्र शुद्ध तथा निर्भीक हृदयसे जेल गये हैं; उसके लिए हम सब उन्हें बधाई देंगे। मोहनलाल पंड्या उनके साथ हैं, इसलिए शेष लोगोंके बारेमें मुझे कोई चिन्ता नहीं है। उन्होंने ही तो इस संघर्षका नेतृत्व किया, अतएव यह उनके लिए एक स्वर्ण अवसर है। यह पहला अवसर नहीं है जब कि मैंने अपील करनेके खिलाफ सलाह दी है। जब दक्षिण

  1. प्याजके खेतके मालिक।