पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/५४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१३
परिशिष्ट

 

६. पूरक प्रश्न पूछनेका अधिकार मूल प्रश्नकर्ता तक सीमित न रहकर प्रत्येक सदस्यको होगा।

७. कुल सदस्य संख्याके कमसे-कम १/८ है की माँगपर विधान परिषद्की विशेष बैठक बुलाई जा सकेगी।

८. किसी वित्त विधेयकको छोड़कर अन्य कोई भी विधेयक विधान परिषद् द्वारा बनाये गये तत्सम्बन्धित नियमोंके अनुसार विधान परिषद्में पेश किया जा सकेगा; और उसके लिए कार्यपालिका-सरकारकी सहमति लेना जरूरी नहीं होगा।

९. विधान परिषद् द्वारा पास किये सभी विधेयकोंको कानून बनने से पहले गवर्नर जनरलकी स्वीकृति मिलना जरूरी होगा।

१०. आयके साधनों और खर्चके मुद्दोंसे सम्बन्धित सभी वित्तीय प्रस्तावोंको एक विधेयकके रूप में प्रस्तुत किया जायेगा। ऐसा प्रत्येक विधेयक तथा बजट वोटके लिए शाही विधान परिषद् के सामने पेश किया जायेगा।

११. सदस्योंका कार्यकाल पाँच वर्षका होगा।

१२. निम्नलिखित विषयोंपर शाही विधान परिषद्का अनन्य नियन्त्रण होगा:

(क) ऐसे मामले जिनमें सारे भारतके लिए एक समान कानून होना अपेक्षित है।

(ख) जिस हदतक कोई प्रान्तीय कानून आन्तरप्रान्तीय आर्थिक सम्बन्धोंको प्रभावित करता हो।

(ग) भारतीय रजवाड़ोंसे मिलनेवाले नजरानोंको छोड़कर उन सभी प्रश्नोंपर जिनका सम्बन्ध केवल केन्द्रीय राजस्वसे है।

(घ) उन सभी प्रश्नोंपर जिनका सम्बन्ध केवल केन्द्रीय सरकारके खर्चसे है, लेकिन देशकी सुरक्षाके लिए सैनिक व्ययके सम्बन्धमें शाही विधान परिषद् द्वारा पास किया गया कोई प्रस्ताव सपरिषद्-गवर्नर जनरलके लिए बाध्यकारी नहीं होगा।

(ङ) जो विषय चुंगी-शुल्क और चुंगीमें परिवर्तन करने, कोई कर अथवा उपकर लगाने, परिवर्तन करने या हटाने, मुद्रा और बैंकिंगकी मौजूदा प्रणालीमें सुधार करने तथा देशके सभी उपयुक्त और नवोदित उद्योगोंको आर्थिक सहायता या पुरस्कार देनेसे सम्बन्धित हैं। (च) जो समस्त देशके सभी प्रशासनिक मामलोंके विषय में प्रस्तावसे सम्बन्धित हैं।

१३. सपरिषद्-गवर्नर जनरल यदि निषिद्ध न कर दें, तो विधान परिषद् द्वारा पास किया कोई भी प्रस्ताव कार्यपालिका सरकारके लिए बाध्यकारी होगा; किन्तु निषिद्ध कर दिये जानेपर यदि वही प्रस्ताव कमसे-कम एक वर्षकी अवधि बीत जानेपर विधान परिषद् फिर पास कर दे तो उसे कार्यान्वित करना अनिवार्य होगा।

१४. यदि कुल उपस्थित सदस्योंमें से १/८ सदस्य समर्थन करें तो तात्कालिक महत्त्वके किसी निश्चित सार्वजनिक प्रश्नपर विचार करने के लिए स्थगनका प्रस्ताव लाया जा सकेगा।

१४-३३