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परिशिष्ट

बाद कोई अपील नहीं की जा सकती। यह गांधीजी या वल्लभभाईके तय करनेकी बात नहीं है, और जहाँतक वसूली स्थगित करनेका सवाल है, आपका लड़ना व्यर्थ होगा। यह बात मैं आपको अच्छी तरह समझा देना चाहता हूँ। आपको मेरे इन शब्दोंपर ध्यान देना चाहिए, सिर्फ इसीलिए नहीं कि ये मेरे शब्द हैं, बल्कि इसलिए भी कि कानूनी स्थिति भी यही है। यह मेरा ही आदेश नहीं, लॉर्ड विलिंग्डनका आदेश भी है। मेरे पास उनका पत्र है जिसमें उन्होंने कहा है कि इस मामले में जो भी आज्ञा जारी करूँगा, उसे वे स्वीकार करेंगे। अतः आपको यह समझ लेना चाहिए कि आज आपसे मैं नहीं, बल्कि एक तरहसे स्वयं महाविभव गवर्नर महोदय बात कर रहे हैं।

श्री गांधी बहुत अच्छे आदमी हैं, एक सन्त पुरुष हैं, और ईमानदारीसे ऐसा मानते हैं कि वे आपको जो सलाह देते हैं वह आपके हितमें है। उनका विचार है कि भूमि का लगान अदा न करके आप गरीबोंकी रक्षा करेंगे। यही बात कल मुझसे भेंट करनेपर वे मुझे भी समझा रहे थे। लेकिन क्या सरकार गरीबोंकी रक्षा करनेवाली नहीं है? गरीबोंकी रक्षा करना आपके गवर्नरका कर्त्तव्य है या आप लोगोंका? क्या आपको अका- लके दिनोंकी याद नहीं है? सन् १९००के अकालमें, और १९०२ में चूहोंके कारण जो अकाल पड़ा था, में अहमदाबाद और पंचमहाल जिलोंका कलक्टर था। आपको याद होगा कि सरकार द्वारा गरीबोंकी सहायतार्थ कितने नये-नये काम शुरू किये गये थे। मुझे याद है कि लोगोंको भोजन देनेके उद्देश्यसे तालाब बनवाने और तकावी बाँटनेमें लाखों रुपये खर्च किये गये थे। आप लोगोंमें जो वृद्ध हैं, उन्हें वे दिन अवश्य याद होंगे। आज उसी सरकारके खिलाफ आप इस जिलेमें संघर्ष चला रहे हैं। दुनियामें एक बहुत बड़ी लड़ाई हो रही है और परिस्थितियाँ ऐसी हैं कि सरकारकी हर तरहसे मदद करना आप सबका कर्त्तव्य है। लेकिन मददकी जगह इस जिलेसे सरकारको क्या मिलता है? सरकारको मदद मिलती है, या लोगोंका विरोध मिलता है?

अगर सरकारके खिलाफ आप अपनी लड़ाई जारी रखते हैं, तो उसके नतीजे आपको भोगने पड़ेंगे, होमरूल लीगवाले इन महानुभावोंको नहीं। उन्हें किसी तरहका कोई नुकसान नहीं होगा। जेल उन्हें नहीं जाना होगा। इसी ढंगका एक आन्दोलन जब दक्षिण आफ्रिकामें आरम्भ किया गया था तब महात्मा गांधी जेल गये थे। लेकिन इस देशमें वे जेल नहीं जायेंगे। जेल उनके उपयुक्त स्थान नहीं है। मैं आपसे फिर कहता हूँ कि वे बहुत ही भले और एक सन्त पुरुष हैं।

सरकारके मनमें आपके प्रति कोई क्रोध-भाव नहीं है। बच्चे जब अपने माता-पिताको ठोकर मारते हैं, तब वे दुखी तो हो जाते हैं, पर नाराज नहीं होते। जब्ती, चौथाई, जुर्माना, सर्वस्व अपहरण, नर्वा अधिकारोंकी समाप्ति, आखिर ये सब तकलीफें आप क्यों सहते हैं? क्या आप अपने ही हाथों अपनी सम्पत्ति नष्ट करना चाहते हैं? क्या आपको अपनी स्त्रियों और बच्चोंका कोई खयाल नहीं है? क्या आप साधारण मजदूरोंकी हालतमें पहुँचना चाहते हैं? अगर हाँ, तो क्यों?

मुझे भूमि-कर कानूनका २८ वर्षका अनुभव है। महात्मा गांधी मेरे मित्र हैं। उन्हें आफ्रिकासे इस देशमें आये दो-तीन वर्ष ही हुए हैं। उन्होंने अपनी जिन्दगीका ज्यादा समय आफ्रिकामें बिताया है। उन्हें धर्मका बहुत अच्छा ज्ञान है। उस विषयपर उनकी