पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/५७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

(अक्तूबर १९१७ - जुलाई १९१८)

अक्तूबर ९ के लगभग: गांधीजीने बेतियामें गोशालाकी नींव रखी।
अक्तूबर १५: भागलपुरमें बिहार छात्र सम्मेलनकी अध्यक्षताकी।
अक्तूबर १८: बिहार और उड़ीसा सरकारने चम्पारन खेती-बारी जाँच समितिपर प्रस्ताव पास किया जिसमें “कृषकोंके प्रतिनिधि श्री गांधीकी समझ और संयम” की प्रशंसा की गई।
अक्तूबर १९: भड़ौंच पहुँचे। व्यापारियों द्वारा आयोजित स्वागत समारोहमें भाषण।
अक्तूबर २०: द्वितीय गुजरात शिक्षा सम्मेलनकी अध्यक्षता की।
अक्तूबर २१: सम्मेलनके समापन भाषण में कहा कि मैं अपना जीवन तभी सार्थक समझूँगा जब भारतके लिए अपने प्राण उत्सर्ग कर पाऊँ।
अक्तूबर २६: अखिल भारतीय शिष्टमण्डलने चैम्सफोर्ड और मॉण्टेग्युसे भेंट की। शिष्टमण्डलमें गांधीजीके अतिरिक्त मोतीलाल नेहरू, तिलक, जिन्ना, सप्रू आदि भी थे।
नवम्बर २: गांधीजी गोधरा पहुँचे। तीसरे दर्जेके रेलयात्रियोंके कष्टोंके विरोध में आयोजित सभाकी अध्यक्षता की।
नवम्बर ३: गोधरामें प्रथम गुजरात राजनीतिक परिषद्की अध्यक्षता की।
नवम्बर ४: राजनीतिक परिषद्‌में घोषणा की कि सरकारने वीरमगाँव चुंगी चौकी हटा देनेका निर्णय किया है।
नवम्बर ५: परिषद् के समापन भाषणमें भाग लेनेवालोंसे अनुरोध किया कि वे प्रचार कार्य जारी रखें और मॉण्टेग्युको भेजे जानेवाले प्रार्थनापत्रके लिए हस्ताक्षर प्राप्त करें।
ढेढ़ समाजकी सभाकी अध्यक्षता की।
नवम्बर ८: रातको मोतीहारी पहुँचे।
नवम्बर ९: जिलाधीश जे० एल० मैरीमैनसे भेंट की।
नवम्बर ११: मुजफ्फरपुर धर्मशाला, बिहारमें आयोजित सार्वजनिक सभामें भाषण; कांग्रेस-लीग सुझावोका समर्थन करनेकी अपील की; शामको हिन्दू और मुसलमान नेताओंके सम्मेलनमें भाग लिया। नौ बजे मोतीहारीके लिए रवाना।
नवम्बर १२: उमरेठ में गोखले-पुस्तकालयका उद्घाटन। बिहार बागान-मालिक संघके मंत्री जे० एम० विल्सनने ‘स्टेट्समैन’ में बागान-मालिकोंके कानूनी सलाहकारकी राय प्रकाशित की।
नवम्बर १४ से पूर्व: गुजरात हिन्दू स्त्री-मण्डलको भेजे गये अपने सन्देशमें गांधीजीने ‘महिलाओंसे अनुरोध किया कि वे अपनी अशिक्षित बहनोंको शिक्षण देनेका कार्य