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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

१६. कार्यकारिणी समिति अपने कुल सदस्योंके दो-तिहाई बहुमतसे किसी भी सदस्य या सदस्योंको, कारण बताये बिना, सभाकी सदस्यतासे च्युत कर सकती है ।

१७. कार्यकारिणी समितिकी कार्रवाईके लिए बैठकमें कमसे कम ८ सदस्यों और साधारण सभाकी कार्रवाईके लिए कमसे कम २५ सदस्योंकी उपस्थिति अनिवार्य होगी ।

१८. उपर्युक्त नियमोंमें ऐसे परिवर्तन अथवा परिवर्द्धन किये जा सकते हैं जिन्हें कार्यकारिणी समिति समय-समयपर करना ठीक समझेगी और जिन्हें सभा स्वीकार कर लेगी ।

१९. सभाके सदस्योंकी साधारण बैठक माहमें कमसे कम एक बार अवश्य हुआ करेगी। बैठक कार्यकारिणी समितिके सुझावपर अथवा और मन्त्रियोंके नाम प्रेषित कमसे कम दस सदस्योंकी लिखित माँगपर कभी भी बुलाई जा सकती है, बशर्ते कि सूचना कमसे कम तीन दिन पूर्व सदस्योंको भेज दी जाये ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १२-३-१९१९
बॉम्बे क्रॉनिकल २८-३-१९१९

१३९. पत्र : सर जेम्स डुबाउलेको

मार्च १२, १९१९

अली भाइयोंके बारेमें मैं आपसे केवल दो शब्द कहना चाहता हूँ । आपसे मुलाकात[१] करनेके पश्चात् में लखनऊके मौलाना अब्दुल बारी साहबसे मिल आया हूँ। अली भाई उनके शिष्य हैं। मैं यह जतलाना अपना फर्ज समझता हूँ कि सरकारका अली भाइयोंको और अधिक समय तक जेल में डाले रखना अन्याय- पर अन्याय करना माना जायेगा । मैं शासनकलासे अनभिज्ञ हूँ । परन्तु समस्त संसारमें उसका जो-कुछ रूप देखा है, उससे मेरे मनमें उसके प्रति कोई अच्छा खयाल पैदा नहीं हुआ है । परन्तु यह बहुत अनोखीसी बात जान पड़ती है कि सरकार उस तथ्य की ओरसे अपनी आँख मूंद रही है जो बाकी सब लोगोंको साफ नजर आ रहा है अर्थात् सरकारने दमन रूपी राखके नीचे जो आग ढक रखी है वह निरन्तर जोर पकड़ती जा रही है। क्या योग्यता, ईमानदारी और धर्म-सम्बन्धी दृढ़ विचार रखनेवालोंको कारागारमें डाले रखनेवाली सरकार अच्छी सरकार कही जा सकती है? कितना अच्छा होता कि मैं आपसे मनवा सकता कि अली भाइयोंको रिहा कर देना बहुत जरूरी है, और फिर आप सरकारको यही बात समझा सकते ।


  1. यह मुलाकात मार्च ७, १९१९ को दिल्लीमें हुई थी । देखिए “पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको ", ८-३-१९१९ ।