पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/२०८

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१६३. तार : स्वामी श्रद्धानन्दको

अप्रैल ३, १९१९

संन्यासी स्वामी श्रद्धानन्दजी

आर्यसमाज

दिल्ली

मद्रास प्रान्तके भ्रमणसे अभी लौटा हूँ, कल उस दुर्घटनाके बारेमें पढ़े। आपने समाचारपत्रोंको जो कुछ अधूरे-से समाचार रेलमें बैठे-बैठे जोरदार वक्तव्य दिया है उसे भी पढ़ा है । उसपर मुझे गर्व है । रौलट कानूनका विरोध करनेमें आपने तथा दिल्लीके लोगोंने जिस अनुकरणीय धैर्यसे काम लिया है उसके लिए मैं आपको तथा दिल्लीके लोगोंको साधुवाद देता हूँ । हम उसके पीछे निहित दमनकी भावनाका विरोध कर रहे हैं । यह कोई आसान काम नहीं है। दिल्लीके निर्दोष व्यक्तियोंने गत रविवारको जिस प्रकार अपना रक्त बहाया है उसी प्रकार और भी बहुतेरा निर्दोष रक्त हमें बहाना होगा । सत्याग्रहियोंके लिए तो यह घटना इस बातका एक और आह्वान है कि वे अधिक-से-अधिक बलिदान आजतक घायल हुए या मृत्युको प्राप्त हुए ठीक संख्या तार द्वारा सूचित करें । लोगोंके लिए पुनः उपवास करना करें। यदि सम्भव हो तो हिन्दुओं और मुसलमानोंकी आगामी रविवारको दिल्लीके जरूरी नहीं है ।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६४९४) की फोटो नकल तथा हिन्दू, ५-४-१९१९ से ।

१६४. तार : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

अप्रैल ३, १९१९

माननीय श्रीनिवास शास्त्रियर

रायपेटा

मद्रास

लिए यह अनिवार्य विचार प्रकट करें क्या दिल्लीकी दुर्घटनासे आपके तथा अन्य सज्जनोंके नहीं हो गया है कि आप लोग स्पष्ट रूपसे अपने सत्याग्रहके बारेमें [ हमारे ] मतभेदका अर्थ दिल्ली पुलिस द्वारा बरते गये उपायों के बारेमें मतभेद नहीं होना चाहिए । रौलट विधेयकोंके