हों चाहे न हों, परन्तु खामोशी अख्यितार नहीं कर सकते । है आप तथा अन्य नेतागण अपने विचार स्पष्ट व्यक्त किये
बिना न रहेंगे ।रौलट विधेयकोंका विरोध करनेमें सत्याग्रही लोग निहित दमनकी भावनाका विरोध कर रहे हैं। उस कानूनके पीछे बेगुनाह लोगोंके खूनके कारण सत्याग्रहियों पर एक बड़ी जिम्मेदारी आ पड़ी है। मेरे मनमें इस बातके बारेमें सन्देह नहीं है कि वे अपना कर्त्तव्य निभायेंगे । कृपया इस तारको
पंडित नेहरू[१]तथा अन्य सज्जनोंको दिखा दें।
गांधी
गांधीजी द्वारा संशोधित हस्तलिखित मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६४९५ ) की फोटो- नकलसे ।
१६८. पत्र : अखबारोंको
बम्बई
अप्रैल ३, १९१९
'बॉम्बे क्रॉनिकल'
बम्बई
मैं दिल्लीकी दुःखद घटनाके सम्बन्धमें कुछ कहना चाहता हूँ । आशा है, आप उसे अपने पत्रके स्तम्भों में कुछ स्थान देकर अनुगृहीत करेंगे। दिल्लीके जो लोग रेलवे-स्टेशनके सामने इकट्ठे हुए थे, उनपर ये आरोप लगाये जाते हैं :
१. कुछ लोग मिठाई बेचनेवालोंसे अपनी दूकानें बन्द करनेके लिए जबरदस्ती कर रहे थे ।
२. कुछ ऐसे थे जो लोगोंको ट्रामों और दूसरी सवारियोंमें बैठनेसे जबरदस्ती रोक रहे थे ।
३. कुछ लोगोंने पत्थर फेंके थे ।
४. उस सारी भीड़ने, जो स्टेशनपर गई थी, उन लोगोंको छोड़ देनेकी माँग की थी, जिन्हें जबरदस्ती करनेके आरोपमें रेलवे अधिकारियोंके अनुरोधपर पकड़ा गया था।
५. मजिस्ट्रेटने जब भीड़ को तितर-बितर हो जानेका हुक्म दिया, तब भीड़ने तितर-बितर होने से इनकार कर दिया ।
- ↑ १. मोतीलाल नेहरू ।