१६९. पत्र : डॉक्टर एम० बी० वेलकरको
अप्रैल ३, १९१९
आपके तथा श्री मांडलिकके[२] स्पष्ट पत्रके लिए धन्यवाद । मेरा खयाल था कि बम्बईमें हम लोगोंकी जो पहली बैठक हुई थी उसमें मैंने सत्याग्रहका अर्थ यथासम्भव पूर्ण रूपसे समझा दिया था। मुझे याद पड़ता है कि मैंने उसमें कहा था कि सत्याग्रह राजनीतिमें धार्मिकताका समावेश करनेका एक प्रयत्न है । परन्तु आपकी स्थितिको मैंने समझ लिया है। यदि आप जेल-यात्राको स्वतन्त्रताका साधन नहीं मानते हैं तो मुझे जरा भी शक नहीं कि आप आन्दोलनमें भाग नहीं ले सकते। मेरी यह राय आज बनी हो सो बात नहीं है । मैंने इस विचारको कई साल पहले 'हिन्द स्वराज्य'[३][इंडियन होमरूल] नामक अपनी पुस्तिकामें व्यक्त किया था कि सत्याग्रहके साथ बायकाटका मेल नहीं बैठता। राजनैतिक क्षेत्रमें सत्याग्रह किसी परिवारके सदस्योंको संचालित करनेवाले नीति-धर्मका ही बढ़ा हुआ रूप है । परन्तु चिट्ठीमें सत्याग्रहके पक्ष और विपक्षके सब पहलुओं पर प्रकाश डालना मेरे लिए असम्भव है। यदि आप मुझेसे मिलनेका कष्ट उठायें तो आपके साथ इस विषयपर वार्तालाप करनेमें मुझे प्रसन्नता ही होगी। कुछ भी हो, कृपया अपने अन्तिम निर्णयसे मुझे अवगत करायें ।
हृदय से आपका,
एस० एन० ६४९२ की फोटो नकलसे ।
१७०. खूनी रविवार[४]
- खूनी कानूनके खिलाफ महान् सार्वजनिक प्रदर्शन
- रविवार, ६ अप्रैल, १९१९
- 'समुद्रस्नान सुबह ७ बजेसे ८ बजे तक, चौपाटीपर
- जुलूस ८-१५ से १० बजे तक
- चौपाटी समुद्र-तट गिरगाँव बैंक रोड