पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/२१५

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१७४. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको



[ बम्बई]
अप्रैल ५, १९१९

प्रिय चार्ली,

दिल्लीकी दुःखद घटनाके बारेमें २४ घंटे तक तो मैं बेहद गमगीन रहा । अब उस बारेमें बेहद खुश हूँ। दिल्लीमें जो खून बहाया गया है, वह निर्दोषोंका था । सम्भव है, दिल्लीमें सत्याग्रहियोंने भूलें की हों । परन्तु कुल मिलाकर उन्होंने अतुलित यश कमाया है । बलिदानके बिना उद्धार नहीं । और इस विचारसे मेरा मन पुलकित हो रहा है कि पहले ही दिन भरपूर आहुति दी गई और वह भी शैतानी हुकूमत के केन्द्र-स्थानमें । मैं चाहता हूँ, यदि हो सके तो अपनी इस प्रसन्नतामें तुम्हें भी सहभागी बनाऊँ ।

आशा है, तुम्हें अपनी शंकाओंके उत्तरमें मेरे पत्र मिल गये होंगे। मैंने तुम्हारे खिलाफ एक अपील दायर की है, जिसकी नकल[१]साथ भेज रहा हूँ। इसका जो करना हो सो करो; परन्तु मुझे गुरुदेवकी सम्मति अवश्य मिलनी चाहिए । अत्यन्त स्नेह- सहित,

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

१७५. पत्र : रवीन्द्रनाथ ठाकुरको

[ बम्बई]
अप्रैल ५, १९१९

प्रिय गुरुदेव,

मेरी यह अपील चार्ली एन्ड्रयूजके विरुद्ध है जो हम दोनों के ही मित्र हैं । मैं उनसे बहुत दिनोंसे अनुरोध कर रहा हूँ कि इस लड़ाईके सिलसिले में प्रकाशनार्थ आपका कोई एक सन्देश भिजवायें - जो यों तो बस एक ही कानूनको लक्ष्यमें रखकर चलाई जा रही है, किन्तु वास्तवमें किसी भी स्वाभिमानी राष्ट्रके उपयुक्त स्वातंत्र्य- संघर्ष है। मैंने बहुत धीरज रखा है और बड़ी प्रतीक्षा की है । चार्लीने मुझे आपकी बीमारीके सम्बन्धमें जो कुछ लिखा, उसके कारण मुझे आपको सीधा पत्र लिखने में

 
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