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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विचार और अपने मत व्यक्त कर सकता है। इसलिए उसका पत्र यदि सुसम्पादित हो तो वह संक्षिप्त शैलीमें अपने शुद्ध विचारोंको व्यक्त करनेका एक सर्वाधिक प्रभावशाली साधन बन सकता है । और हस्तलिखित समाचारपत्रको परिचालित करनेकी असमर्थताकी भी कोई आशंका नहीं होनी चाहिए, क्योंकि पहली प्रतियाँ पानेवालोंका यह कर्त्तव्य होगा कि वे उसकी प्रतिलिपियाँ तैयार करते जायें और इस प्रकार वे हाथों-हाथ, आवश्यक हो तो भारतकी समूची जनता तक पहुँच जायें । हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे यहाँ भारतमें मौखिक उपदेशोंके द्वारा ज्ञानका प्रचार करनेकी परम्परा बनी हुई है।

मो० क० गांधी
अध्यक्ष, सत्याग्रह सभा
डी० डी० साठे
उमर सोबानी
शंकरलाल घेलाभाई[१]
मन्त्रिगण

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ८-४-१९१९

१८५. तार : डॉ० सत्यपालको

[ बम्बई]
अप्रैल ७, १९१९

डॉ० सत्यपाल,[२]
दिल्ली

बुधवारको[३]पंजाबमेलसे दिल्ली पहुँचूँगा। कृपया मिलिये।

महादेव देसाईके स्वाक्षरोंमें दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६५०८) की फोटो- नकलसे।

  1. १. बैंकर।
  2. २. पंजाबके चिकित्सक और कांग्रेसी नेता।
  3. ३. ९ अप्रैल।