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२०२. बम्बईके मुसलमानोंसे बातचीत



अप्रैल ११, १९१९

शुक्रवारके दिन हुई गिरफ्तारियोंके सिलसिले में उसी दिन कई मुसलमान श्री गांधीके निवासपर पहुँचे। महात्मा गांधीने उनको सत्याग्रहका वास्तविक अर्थ समझाया और कहा कि यदि वे लोग दुराग्रह करते हुए गिरफ्तार हों तो वे सहानुभूतिके पात्र नहीं हो सकते, लेकिन यदि उनको सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तार किया जाये तो उनको जेल जाना अपना कर्त्तव्य मानना चाहिए। इस तरह किसी भी तरह गिरफ्तार हुए लोगोंकी रिहाईकी माँगको उचित नहीं ठहराया जा सकता। इसके पश्चात् महात्माने हिन्दू-मुस्लिम एकताको परम आवश्यकता समझाई।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल,१४-४-१९१९

२०३. सत्याग्रहके सम्बन्धमें हिदायतें

[ अप्रैल १२, १९१९]

मेरी विनम्र राय है कि सत्याग्रहको पूर्ण विकसित करने और आम जनतामें उसकी पैठ करानेके लिए नीचेकी हिदायतोंका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। बादमें इनमें से कुछको बदलनेकी जरूरत भी पड़ सकती है। शेष सभी सत्याग्रहके अनुल्लंघनीय सिद्धान्त हैं।

जुलूस न निकलें ।
संगठित प्रदर्शन न हों।
पहलेसे समितिका आदेश प्राप्त किये बिना किसी भी कारण कोई हड़ताल न हो।
हिंसा न हो ।
पथराव न हो।
ट्रामोंके चलने या यातायातमें कोई बाधा न डाली जाये।
किसीपर किसी भी किस्मका दबाव न डाला जाये।

सार्वजनिक सभाओंमें

तालियाँ न बजाई जायें।
अनुमोदन या विरोधका प्रदर्शन न किया जाये।
'शर्म' 'शर्म' की आवाजें न कसी जायें।