पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/२८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



२२३. वक्तव्य : अखबारोंको[१]

बम्बई
अप्रैल १८, १९१९

बड़े दुःखके साथ मैं सविनय अवज्ञा आन्दोलनको अस्थायी रूपसे स्थगित रखनेकी सलाह देनेको बाध्य हुआ हूँ। मैं यह सलाह इसलिए नहीं दे रहा हूँ कि उसकी सफ- लतामें अब मेरा विश्वास कुछ कम हो गया है; परन्तु इसलिए कि इसमें मेरा विश्वास और अधिक दृढ़ हुआ है। सत्याग्रह-सिद्धान्तके मेरे बोधने ही मुझे ऐसा करनेको विवश किया है । मुझे खेद है कि जब मैंने सार्वजनिक आन्दोलन आरम्भ किया उस समय मैंने अमंगलकारी शक्तियोंके प्रभावको कम कूता था । इसलिए अब मुझे रुककर यह विचार करना है कि परिस्थितिका सामना भली-भाँति कैसे किया जा सकता है । परन्तु ऐसा करते हुए मैं यह कहना चाहता हूँ कि अहमदाबाद और वीरमगाँवकी शोकजनक घटनाओंकी सावधानीपूर्वक जाँच करनेसे मुझे यह विश्वास हो गया है कि भीड़ द्वारा की गई हिंसासे सत्याग्रहका कोई सम्बन्ध नहीं था । उपद्रवी भीड़के झंडेके नीचे ज्यादा तर लोग इसलिए इकट्ठे हो गये थे कि अनसूयाबाई और मेरे प्रति उनका अत्यन्त प्रेम है । यदि सरकार अदूरदर्शितापूर्वक दिल्लीमें प्रवेश करनेसे रोककर मुझे सरकारी आज्ञाओंका उल्लंघन करनेपर बाध्य न करती तो मुझे पूरा विश्वास है कि अहमदाबाद और वीरमगाँवमें गत सप्ताह जो भयंकर कांड हुए वे न होते । दूसरे शब्दोंमें इन उपद्रवोंका कारण सत्याग्रह नहीं है । इसके विपरीत सत्याग्रह तो पहले ही से मौजूद उपद्रवी तत्त्वोंको नियंत्रित करनेमें --- यह नियंत्रण कितना भी कम क्यों न रहा हो--सहायक ही हुआ है । जहाँतक पंजाबकी घटनाओंका सम्बन्ध है यह स्वीकार किया गया है कि सत्याग्रहके आन्दोलनसे उनका कोई सम्बन्ध नहीं है।

दक्षिण आफ्रिकाको मिसाल

दक्षिण आफ्रिकामें सत्याग्रहकी लड़ाईके दौरान कई हजार गिरमिटिया भारतीयोंने हड़ताल कर दी थी । वह हड़ताल सत्याग्रहसे प्रेरित थी, इसलिए उसका स्वरूप बिल्कुल ऐच्छिक और शान्तिपूर्ण रहा। जब यह हड़ताल जारी थी, उसी समय यूरोपीय खान मजदूरों, रेलवे कर्मचारियों आदिने भी हड़ताल कर दी । उस समय मुझसे अनुरोध किया गया था कि मैं उनके साथ हो जाऊँ । एक सत्याग्रहीकी भाँति मुझे ऐसा न करनेका निर्णय करनेमें एक क्षणकी भी देर न लगी । मैं इतना ही करके चुप नहीं रह गया, परन्तु इस डरसे कि हमारी हड़ताल भी यूरोपियोंकी उस हड़तालकी श्रेणीकी

  1. १. गांधीजीने सविनय अवज्ञा आन्दोलनको स्थगित करनेके सम्बन्धमें उक्त वक्तव्य एक पत्रके रूपमें बम्बईकी सत्याग्रह-सभाके मन्त्रियोंके साथ-साथ प्रेसमें भी प्रकाशनार्थं भेजा था। देखिए “तार : जी० ए० नटेसनको", १८-४-१९१९ ।