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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


किया है तथा अंग्रेज जातिकी महान् सेवा की है । भारतकी सेवा की है, यह तो सारा भारत जानता है । मुझे इस घटनापर दु:ख इसलिए होता है कि एक बहादुर सत्याग्रहीको देश-निकाला मिला है और मैं मुक्त बैठा हूँ । मुझे आनन्द भी हो रहा है क्योंकि भाई हॉर्निमैनको अपनी सत्याग्रहकी प्रतिज्ञा पूरी करनेका अवसर मिला ।

'क्रॉनिकल' पत्रका प्रकाशन भी फिलहाल तो बन्द रहेगा, क्योंकि सरकारकी अनुचित माँगोंको पत्रके व्यवस्थापकोंने बुद्धिमत्तापूर्वक अस्वीकार कर दिया है । परन्तु सच पूछा जाये तो भाई हॉनिमैनके बिना 'क्रॉनिकल'का प्रकाशित होना मैं तो आत्माके बिना शरीरको बनाये रखनेके समान मानता हूँ ।

यह स्थिति सचमुच विषम है । सत्याग्रहको भारी परीक्षा हो रही है । सत्याग्रहका शुद्धत्तम और अजेय स्वरूप प्रकट करनेका यह सुन्दर अवसर है। इस अवसरसे लाभ उठाना सत्याग्रहियों एवं अन्य प्रजाजनोंके हाथमें है । मैं समझ सकता हूँ कि सत्याग्रहि- योंके लिए अपने एक प्यारे साथीका वियोग बड़ा दुःखदायी होगा । जनताको निरन्तर स्वतन्त्रताका प्याला पिलानेवाले मनुष्यका वियोग तो अवश्य खटकेगा । ऐसे समय सत्याग्रही और दूसरे भाई-बहन, मेरी राय में, शान्ति रखकर ही अपना शुद्ध प्रेम सिद्ध कर सकेंगे । इस समय हमारा शान्ति भंग करना केवल विचारहीन कार्य होगा।

आधुनिक सभ्यताका प्राचीन सभ्यतासे संघर्ष हो रहा है । इस समय प्राचीन संस्कृतिकी शिक्षाके अनुसार ही सत्याग्रहको भारतकी जनताके सम्मुख रखा गया है । यदि भारत इस तरीकेको स्वीकार करेगा, तो प्राचीन सभ्यताका गौरव प्रकट होगा और आधुनिक सभ्यता क्या चीज है, यह भी संसार देखेगा तथा आधुनिक सभ्यताके हिमायती अपनी भूल अवश्य सुधारेंगे।

मेरी व्यावहारिक सूचनाएँ इस प्रकार हैं : भारतमें कहीं भी शोक प्रकट करनेके लिए हड़ताल न की जानी चाहिए; बड़ी सार्वजनिक सभाएँ न की जायें; जुलूस न निकाले जायें; जरा भी हुल्लड़ न किया जाये । कोई हुल्लड़ करना चाहे, तो उसे रोका जाये।

जो सत्याग्रही हैं अथवा सत्याग्रहके समर्थक हैं, उनसे मेरा अनुरोध है कि वे सत्याग्रहपर से अपनी श्रद्धा जरा भी न खोयें और यह अटल विश्वास रखें कि सत्याग्रहकी प्रतिज्ञाका अवश्य पालन होगा।

शेष फिर ।

मोहनदास करमचन्द गांधी

[ गुजरातीसे ]

महादेवभाईनी डायरी,खण्ड ५