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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सत्याग्रहके कारण संयम और शान्तिसे काम न लिया होता तो सारी फौजी एहतियातोंके बावजूद हिंसा अवश्य होती ।

अब मैं एक कम पेचीदा विषयपर आता हूँ। यह शायद ऐसा विषय है, जिसपर हम एकमत हो सकते हैं। मैं इसके साथ स्वदेशीकी प्रतिज्ञाका प्रारूप भेज रहा हूँ। यदि वाइसराय यह प्रतिज्ञा लें तो यह कितनी बड़ी बात होगी। आप देखेंगे कि इसे अंग्रेज भी उतनी ही आसानीसे ले सकते हैं जितनी आसानीसे भारतीय । जब भी परमश्रेष्ठके पास इसे देखनेके लिए समय हो आप उनके सामने इसे अवश्य रखें। यदि वाइसराय महोदय यह प्रतिज्ञा न भी ले सकें, किन्तु इस योजनासे अपनी सहमति व्यक्त कर दें तो मैं चाहूँगा कि आप मुझे प्रकाशनार्थ उस आशयका एक पत्र अलगसे भेज दें।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६५८९) की फोटो-नकलसे ।

२५५. पत्र : जे० ए० गाइडरको

लैबर्नम रोड
बम्बई
मई ५, १९१९

प्रिय श्री गाइडर,[१]

श्रीमती अफ़वाहका कहना है कि आप इस बातपर अपने कर्मचारियोंसे नाराज हो गये हैं कि अहमदाबादकी दुःखजनक घटनाके पीछे जिस शिक्षित व्यक्तिका हाथ है उसका पता मैंने तो लगा लिया है, लेकिन वे न लगा सके। उन्हीं महिलाके सौजन्यसे यह भी जाना कि आप “शिक्षित भारतीयों" का अर्थ केवल वकील, बैरिस्टर और डॉक्टर आदि लगाते हैं। इसलिए मित्रगण और कुछ अन्य लोग भी मुझे नोंचे डाल रहे हैं कि मैंने ऐसी असंयत भाषाका प्रयोग करके इतना फसाद, यह अनावश्यक परेशानी क्यों पैदा की। स्वभावतः मुझे अपने कार्योंकी तरह ही अपने शब्दोंके परिणाम भी झेलने चाहिए। मैं नहीं जानता कि मैंने जो अफवाहें सुनी हैं, वे कहाँ तक सच हैं; किन्तु मैं यह कहूँगा कि मूल भाषणमें मैंने जिस शब्दका प्रयोग किया है वह है 'भणेला"; और "भणेला" का अर्थ किसी भी तरह "उच्च शिक्षा प्राप्त" नहीं होता। मेरे विचारसे “भणेला" शब्दका अर्थ है, ऐसे सभी लोग जिन्होंने किसी-न-किसी ढंगकी थोड़ी या बहुत शिक्षा, अंग्रेजी या देशी भाषाओंके माध्यमसे पाई हो । उदाहरणार्थ, अभी हालमें मैंने किसी अज्ञात कवि द्वारा लिखी एक जोशीली कविता पढ़ी है; और

मैं तो निःसन्देह उस कविको 'भणेला' यानी शिक्षित मानूँगा। मैंने अपने भाषण के

  1. १.अहमदाबादके जिला मजिस्ट्रेट ।