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२६२. सत्याग्रह माला - १७

मई ७, १९१९

रविवारकी हड़ताल और उपवास

भाइयो और बहनो,

अगले रविवारको हड़ताल, उपवास और प्रार्थना करके लोग सत्याग्रही ढंगसे सरकारको यह बता देना चाहते हैं कि सरकार अपने सैनिक-बलसे देशमें सच्चा सन्तोष स्थापित नहीं कर सकेगी। जबतक रौलट कानून रद्द नहीं कर दिये जाते, जबतक श्री हॉर्निमैन जैसे लोगोंको, जो सरकारके ऐसे कृत्योंका निर्दोष विवेचन कर रहे थे, दबा देनेकी सरकार कोशिश करती रहेगी, तबतक उसके प्रति सच्ची प्रीति सम्भव नहीं है। इतना ही नहीं, बल्कि अप्रीति और बढ़ेगी। दुनिया भरमें सच्ची शांतिका आधार तोप-बन्दूक नहीं, बल्कि शुद्ध न्याय ही होता है। सरकार एक ओर तो अन्याय करे और दूसरी ओर अपने शस्त्रबलसे उसका बचाव करे, तब सरकारके ये कृत्य उसका क्रोध सूचित करते हैं। इससे तो उसके अन्यायमें वृद्धि ही होती रहती है। लोग भी सरकारकी ऐसी करतूतोंसे क्रोधमें आकर हिंसाका आश्रय लें, तो परिणाम दोनोंके लिए बुरा होता है और परस्पर द्वेषभावमें वृद्धि होती है। परन्तु जब-जब सरकारके कुछ कृत्य लोगोंको अन्यायपूर्ण प्रतीत हों, तभी उसके विरुद्ध वे अपने कष्टसहन द्वारा अपनी सख्त नाराजगी जाहिर करें, तो सरकारको झुकना ही पड़ेगा। यह सत्याग्रहका तरीका है। अगले रविवारको अपनी इस प्रकारकी नाराजगी शुद्ध रूपमें जाहिर करनेका बम्बईके लोगोंको अवसर मिलेगा ।

स्वेच्छासे और किसी दबावके बिना की गई हड़ताल लोगोंकी नाराजगी प्रकट करनेका एक सबल साधन है। परन्तु उपवास उससे भी ज्यादा बलवान साधन है। लोग जब धार्मिक वृत्तिसे उपवास करते हैं और अपने दुःखकी पुकार ईश्वरके सामने रखते हैं, तब उन्हें उसका जवाब निश्चय ही मिलता है। कठोरसे-कठोर हृदयपर भी उसका असर होता है। सभी धर्मोंमें उपवासको महासंयम माना गया है। जो स्वेच्छासे उपवास करते हैं, वे उससे नम्र बनते हैं और शुद्ध होते हैं। शुद्ध उपवास बड़ी कारगर प्रार्थना है। लाखों मनुष्योंका स्वेच्छापूर्वक निराहार रहना कोई छोटी बात नहीं है। और ऐसा उपवास ही सत्याग्रही उपवास है। इससे व्यक्ति और राष्ट्र दोनों ऊपर उठते हैं। इसमें सरकारपर अनुचित दबाव डालनेका इरादा जरा भी नहीं होना चाहिए। परन्तु हम देखते हैं कि कभी-कभी बहुत-से अच्छे कामोंकी तरह इस उपवासका भी दुरुपयोग होता है। हमारे देशमें देखा जाता है कि भिखारियोंको जबतक उनका माँगा न मिल जाये, तबतक वे उपवास करने की धमकी देते हैं, उपवास करते भी हैं अथवा उपवास करनेका ढोंग करते हैं। यह दुराग्रही उपवास कहलाता है। इस प्रकारका उपवास करनेवाले लोग अपने-आपको नीचे गिराते हैं। ऐसे आदमियों को