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२६४. पत्र : रावको

लैबर्नम रोड
बम्बई
मई ७, १९१९

प्रिय श्री राव,

मुझे स्वर्गीय सार्जेन्ट फेजरके सम्बन्धमें आपका पत्र पाकर प्रसन्नता हुई। क्या आप मुझे कृपा करके मृत व्यक्तिके सम्बन्धमें कुछ और अधिक ब्यौरा देंगे ? क्या वे अनाथ थे ? क्या वे अपने माँ-बापके इकलौते बेटे थे ? उनके माता-पिता क्या करते थे? श्रीमती रावने उन्हें कैसे गोद लिया था ? जब वे मारे गये, उस समय उनकी उम्र क्या थी ? आपके नामसे तो मुझे लगता है कि आप भारतीय हैं। क्या आपकी पत्नी भी भारतीय हैं ? मुझे विश्वास है, आप इस पूछताछ के लिए मुझे क्षमा करेंगे। मैं तो केवल मृत व्यक्तिका पूरा इतिहास जानना चाहता हूँ-और किसी बातके लिए न सही तो इसके लिए ही कि मैं उसे अपनी स्मृतिमें सहेजकर रख सकूँ।[१]

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६५९५) की फोटो-नकलसे ।

२६५. सत्याग्रह माला

मई ८, १९१९

रविवारकी हड़ताल

"भगवद्गीता" की शिक्षाका सच्चा अर्थ


भाइयो और बहनो,

'टाइम्स ऑफ इंडिया 'को सामान्यतः निष्पक्ष पत्र माना जाता है, लेकिन इस बार तो उसने आगामी हड़तालका उपहास और उपवासके धार्मिक रूपमें अविश्वास करते हुए कोई संकोच नहीं किया है। इस उपहास और अविश्वासको धैर्यंसे सहन करना हमारा कर्तव्य है। हम अपने कार्योंसे-अर्थात् सच्ची सत्याग्रही भावनासे की गई और हड़ताल

धर्मोपासना द्वारा-उसे इस उपहास और अविश्वासके लिए पश्चात्ताप करने पर मजबूर

  1. १. श्रीमती ई० सी० रावने पत्रका उत्तर देते हुए लिखा था: “मेरे पतिने अगर तुम्हें पत्र लिखा है तो उन्होंने अपने जीवनकी सबसे बड़ी भूल की. हम लोग कतई भारतीय नहीं हैं ।"