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भाषण : खिलाफतके सम्बन्धमें

कल काफी रात गये आपका सन्देश मिला; उसके लिए धन्यवाद । मैं एक पत्रक जारी कर रहा हूँ, जिसकी एक प्रति साथमें भेजी जा रही है । आप देखेंगे कि मैंने परमश्रेष्ठकी इच्छाका पूरा पालन किया है ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गां०

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६५९९) को फोटो - नकलसे ।

२७०. पत्र : डॉ० पॉवेलको

लैबर्नम रोड
बम्बई
मई ९, १९१९

प्रिय डॉ० पॉवेल,[१]

पत्रके[२]लिए धन्यवाद । मैं अनन्तराम राधाकृष्णसे केवल एक बार ही मिला हूँ । उन्होंने मुझे कोई कार-वार भेंट नहीं की है। मुझे उनकी माल-मिलकियतका कोई अन्दाजा नहीं है, और न मेरे पास उनकी दी हुई कोई रकम ही है । मैं नहीं समझता कि सत्याग्रहके कारण उनका सिर फिर गया है। लेकिन, यह हो सकता है कि हमारी सूचीमें एकाधिक सिर-फिरे लोगोंके नाम हों ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गां०

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६६००) की फोटो - नकलसे ।

२७१. भाषण : खिलाफतके सम्बन्ध में[३]


बम्बई
मई ९, १९१९

अध्यक्ष महोदयने मेरे सम्बन्धमें जो बात कही है वह ठीक है । मुझे अपने बचपनमें हिन्दुओं और मुसलमानोंके भेदभाव दूर करनेका विचार आता रहता था ।

 
  1. १. पुलिस सर्जन, बम्बई ।
  2. २. ९ मईका ।
  3. ३. यह भाषण अंजुमन जियाउल इस्लामकी भोरसे श्री एम० टी० कादरभाई वैरिस्टरकी अध्यक्षता में खिलाफतके प्रश्नपर विचार करनेके लिए हुई सभामें दिया गया था। इसमें मुसलमान बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित थे । सर्वश्री गांधी, जमनादास द्वारकादास और शंकरलाल बैंकर विशेष रूपसे निमन्त्रित थे । इनमें श्री कादरभाईने गांधीजीका परिचय देते हुए कहा था : गांधीजी जीवन-भर हिन्दुओं और मुसलमानोंके मत- भेदों को दूर करनेमें लगे रहे हैं । उन्होंने दक्षिण आफ्रिकामें जो सत्याग्रह किया था वह मुख्यतः मुसलमानोंके लिए ही किया था क्योंकि दक्षिण आफ्रिकामें तीन चौथाई व्यापार मुसलमानोंके हाथों में है । हिन्दू-मुस्लिम मेलकी दिशामें अंग्रेजी शासन बरसोंमें जो कुछ नहीं कर सका, वह उन्होंने एक दिनमें कर दिखाया है ।