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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हमारी इच्छा है कि हर मन्दिर, मस्जिद और गिरजेमें तथा प्रत्येक समाज- गोष्ठीमें आनेवाले लोगोंसे काम-काज बन्द रखनेके लिए कहा जाये और उन्हें उपवास करने, पूरा दिन धार्मिक ध्यान-पूजा में बिताने एवं शान्ति कायम रखनेकी सलाह दी जाये ।

मैं हड़ताल - सम्बन्धी पहले पत्रकमें[१] बता चुका हूँ कि कर्मचारी अपने मालिकों से अनुमति मिल जानेपर ही काम बन्द करें। किन्तु जो लोग अस्पतालों में या शहरकी सफाईसे सम्बन्धित कामोंमें लगे हों या जो मजदूर बन्दरगाहोंपर अकाल पीड़ित क्षेत्रों में भेजने के लिए अनाज लादने उतारनेका काम कर रहे हों, उन्हें अपना काम बिलकुल बन्द नहीं करना चाहिए। सत्याग्रही हड़तालमें हमें सबसे पहले जनताके हितका मुख्यतः गरीबोंकी आवश्यकताओंका - ध्यान रखना पड़ेगा । और जब हम अपने सब कार्यों में विवेक-बुद्धिका पूरा उपयोग करेंगे तो हमारी कठिनाइयाँ वैसे ही दूर हो जायेंगी जैसे प्रातःकालीन सूर्यके सामनेसे कुहरा दूर हो जाता है।

मो० क० गांधी

गांधी स्मारक निधिमें सुरक्षित वर्तमान प्रेस, फोर्ट, बम्बई द्वारा मुद्रित मूल अंग्रेजी पत्रकसे ।

सौजन्य : एच० एस० एल० पोलक

२६९. पत्र : एफ० सी० ग्रिफिथको

लैबर्नम रोड
बम्बई
मई ९, १९१९

प्रिय श्री ग्रिफिथ,

मिल मजदूरों के सम्बन्धमें मुझे मालूम हुआ है कि वे अपना सामान वेतनके दिन ही खरीद लेते हैं, और इस बार भी उन्होंने गत ३ तारीखको यह काम निबटा लिया है । मुझे यह भी मालूम हुआ है कि कुछ मजदूरोंने इस बातको बहुत बुरा माना है कि केवल उन्हींके लिए दुकानें खुली रखी जायें। फिर भी, यह समझा जा सकता है कि यदि दुकानें खुली रखी गईं तो उनमें से बहुतसे कुछ फुटकर सामान खरीद सकते हैं। लेकिन मुझे उत्तरी बम्बईमें वर्तमान स्थितिको ज्यों-का-त्यों छोड़ने में जितना खतरा है, उससे कहीं अधिक खतरा वहाँके सभी दुकानदारोंको अपनी दुकानें खुली रखने की सलाह देनेमें दिखाई देता है । इसलिए मैं इस मामलेमें किसी अशोभनीय घटनाकी सम्भावना टालनेके लिए जितनी एहतियात बरती जा सकती है उतनी बरत रहा हूँ, और कुछ नहीं ।

  1. १. संख्या १५ ।