पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/३४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३१२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ही सन्तुष्ट हो जायेगा। आशा करता हूँ कि इन दो मुद्दोंका उल्लेख करनेसे आप नाराज नहीं होंगे। यदि मेरा सुझाव स्वीकृत हो जाये तो मैं पंजाब जानेको भी तैयार हूँ । यदि आप व्यक्तिगत वार्तालाप आवश्यक समझते हैं तो तार द्वारा सूचित करनेमें संकोच न करें।

हृदयसे आपका,

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६६०६) की फोटो नकलसे।

२७८. सत्याग्रह माला - २१

मई १२, १९१९

शान्तिपूर्ण हड़ताल : बम्बईका आदर्श

भाइयो और बहनो,

कल पूर्णतः शान्ति रखकर बम्बईने बड़ा यश अर्जित किया है । शान्तिपूर्ण हड़ताल रखकर नागरिकोंने बता दिया है कि सत्याग्रहका इतना भाग वे समझ गये हैं । उन्होंने श्री हॉर्निमैनका सच्चा आदर किया है और सरकारको दिखा दिया है कि उनके निर्वासनकी वे निन्दा करते हैं । बम्बईने सारे भारत के लिए अच्छा उदाहरण पेश किया है। कल कुछ दुकानें खुली हुई थीं, यह सत्याग्रहकी दृष्टिसे बम्बईके लिए गर्व करनेकी बात है। इससे साबित होता है कि हड़ताल स्वेच्छापूर्वक हुई थी । इस अद्भुत प्रयोगकी सफलताके कई कारण हैं । परन्तु श्री विट्ठलदास जेराजाणीके नेतृत्वमें स्वयंसेवकों द्वारा अपने कर्त्तव्यका समुचित पालन उनमें मुख्य कारण है। हड़तालका विचार शुरू हुआ, तभीसे उन्होंने अपना कार्य आरम्भ कर दिया था। उनके प्रयत्नोंका परिणाम हमने कल देख लिया। पुलिसका भी हमें आभार मानना चाहिए। यदि विरोधी स्वरूपका सैनिक प्रदर्शन किया जाता तो लोग उत्तेजित होते और शान्ति कायम रखनेका काम बड़ा कठिन हो जाता ।

जो लोग स्वराज्य भोग रहे हैं या स्वराज्यका उपभोग करना चाहते हैं, उनमें नीचे दिये चार गुण होने चाहिए :

(१) आत्मरक्षाके लिए उन्हें पुलिसकी सहायताकी कमसे कम जरूरत होनी चाहिए और पुलिस और लोगोंमें मेल होना चाहिए ।

(२) जेलमें कैदियोंकी संख्या कमसे-कम हो ।

(३) अस्पतालोंमें बीमारोंकी संख्या कमसे कम हो ।

(४) कानूनी अदालतोंमें कमसे कम काम हो ।

जहाँ लोग मारकाट करते हैं, अपराध करते हैं और अपनी इन्द्रियोंपर काबू नहीं रखते और कुदरत के नियमोंको भंग करके रोगी बनते हैं और आपसमें झगड़े करके अदालतोंमें जाते हैं, वहाँ लोग मुक्त नहीं, परन्तु बन्धनमें हैं। जब भारत बम्बईके