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पत्र : जे० एल० मैफीको

अनुरोध किया है कि आप सबपर दबाव न डालें । शिनाख्त करनेसे इनकार करनेवालोंपर कैदका खतरा है ।

[ अंग्रेजीसे ]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : होम : पॉलिटिकल -ए: अगस्त १९१९:सं० २६१-२७२ और के० डब्ल्यू० ।

२७७. पत्र : जे० एल० मैफीको

बम्बई
मई ११, १९१९

प्रिय श्री सैफी,

आपका पत्र[१]आज सुबह मिला। वह अहमदाबादसे होकर यहाँ पहुँचा । पत्रके लिए आपको धन्यवाद । उत्तरमें मैंने आपको निम्नलिखित तार भेजा है :

भारतमें घटनाचक्र बड़े वेगसे घूम रहा है।हम बारूदके ऊपर बैठे हुए हैं, जो किसी भी क्षण भड़क मौजूदा उलझनें अफगानिस्तानवाली खबरसे और पेचीदा हो गई है ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि परमश्रेष्ठको यह भारी बोझ वहन करनेकी शक्ति दे ।


आपका पत्र पानेसे पहले ही मैंने अपने तरीकेसे भारतकी सीमाके अन्दर शान्तिमय वातावरण उत्पन्न करनेकी दिशामें काम करना शुरू कर दिया था । मैं स्वीकार करता हूँ यह स्थिति नाजुक है । देशमें शान्ति बनाये रखने में मैं अपनी पूरी शक्ति लगा दूंगा, इस बातका विश्वास दिलाना आवश्यक नहीं है। मुझसे कमसे कम इतनी अपेक्षा रखनेका हक वाइसराय महोदयको अवश्य है । परन्तु यदि मुझे सरकार कोई मदद नहीं पहुँचाती तो मेरा बहुत प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुझे जो सहायता चाहिए वह है मुसलमानोंके प्रश्नके बारेमें सन्तोषजनक घोषणा और रौलट कानूनोंका वापस ले लिया जाना । यदि यह सहायता दी जा सकती हो तो मेरा खयाल है कि भारत निश्चय

 
  1. ७ मईको गांधीजीके नाम लिखे गये वाइसरायके निजी सचिवके पत्र में लिखा था :- "अफगानिस्तानके बारेमें जो समाचार आये हैं उनसे आपको आश्चर्य होगा । भारतमें अव्यवस्थाकी बहुत ही अतिरंजित खबरें पाकर उग्र और अनुभवहीन अमानुल्लाने निश्चय किया है कि 'अफगानिस्तानकी तलवार भारतमें चमके।' यह एक नई उलझन पैदा हुई है। सैनिक दृष्टिसे यह समस्या हमारे लिए कोई गम्भीर समस्या नहीं है । हम लोग इस आवेशोन्मत्त नवयुवकके प्रति यथासंभव संयमसे काम ले रहे हैं। क्या हम आपसे सहायताकी उम्मीद रखें ? मेरा खयाल है कि आप भारतीय लोकमत बनाने में बहुत कुछ कर सकते हैं। मैं यह पत्र अपनी ओर से ही लिख रहा हूँ। अलबत्ता मैं इसे वाइसराय महोदयको दिखा अवश्य दूँगा । आशा है आप सकुशल होंगे ।"