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३२२. पत्र : छगनलाल गांधीको

बम्बई
[ जून ७, १९१९ के बाद ][१]

चि० छगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिला । यह उचित ही है कि छोटालाल तथा जगन्नाथ बुनाईके काममें लगे हुए हैं-यह मुझे ठीक लगता है । तुम कान्तिलाल तथा रामनन्दनको तैयार कर रहे हो, यह भी ठीक है । जो माल इकट्ठा हो गया है उसका प्रबन्ध में यहाँ कर रहा हूँ। मैं तो कान्तिलाल और रामनन्दनको भी बुनाई-काममें जुटा हुआ देखना चाहता हूँ । इस कामके लिए यदि बाहरके व्यक्तिकी नियुक्ति की जाये तो मुझे और भी प्रसन्नता होगी। अब तो तुम बाहरका माल भी जो हाथके कते सुतका और हाथसे बुना हुआ न हो, मत लो। इस सम्बन्धमें उमरेठके लोगोंके लिए अपवाद करनेकी जरूरत मालूम हो तो करना।

स्वदेशी भण्डारके पास जो पैसा है उसके लिए योग्य व्यवस्था करवा रहा हूँ ।

मावजी जेतानीने उस कामको करनेका जिम्मा लिया था, उसका क्या हुआ ? और यदि वे पूरा नहीं कर सके हों तो उस विषयमें तुम क्या करना चाहते हो?

मेघाणीको जो माल भेजा गया है, क्या उसका पैसा मिल गया है? जहाँतक बने माल उधार न भेजनेका रिवाज अच्छा है। थोक विक्रेतासे सीधा लेनदेन करनेके सम्बन्धमें मैं तुम्हें लिख चुका हूँ। इस काममें आश्रमके व्यक्तियोंको बहुत रोके बिना काम चल सके तो चलाना।

उपवास कोषके[२] रुपये इस समय जहाँ पड़े हैं, भले वहीं पड़े रहें। उनसे ब्याज तो मिलता ही होगा।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० ७३२५) की फोटो नकलसे।

 
  1. पत्र में जगन्नाथ, छोटालाल तथा स्वदेशी भंडारके बारेमें जो कुछ कहा गया है उससे लगता है। कि यह ७-६-१९१९ को लिखे गये “पत्र : छगनलाल गांधीको" के बाद लिखा गया होगा ।
  2. इसके सम्बन्धमें कुछ जानकारी नहीं है ।