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तार : ई० एस० मॉण्टेग्युको

सत्याग्रह अब किसी भी दिन प्रारम्भ कर दिया जा सकता है; परन्तु अगले सोमवारसे पहले नहीं। फिर भी मैं चाहता हूँ कि सत्याग्रह में ही प्रारम्भ करूँ; अन्य कोई नहीं; अर्थात् मेरे जेल भेज दिये जानेके दिनसे एक माह तक कोई सत्याग्रह न करे । कुछ हिदायतें[१] छपवाई जा रही हैं। उनकी एक प्रति आपके पास भेजूँगा । आप उन्हें अज़ीमुद्दीन खाँको समझा दें । कृपया बेगम साहिबा तथा अन्य मित्रोंसे मेरा यथायोग्य कहें ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६६५६) की फोटो नकल से ।

 

३५२. तार : ई० एस० मॉण्टेग्युको

लैबर्नम रोड
गामदेवी
जून २४, १९१९[२]

परममाननीय ई० एस० मॉण्टेग्यु,

मुझे लगता है कि आपको यह बता देना मेरा कर्त्तव्य है कि यदि परि- स्थितियों वश हालत बदल न गई तो मैं जुलाईके प्रारम्भमें फिरसे सविनय अवज्ञा शुरू करनेका इरादा रखता हूँ । मेरे लेखे सत्याग्रह तो मेरा धर्म है। सुख-समृद्धि, न्यायसंगत कानून और न्यायपूर्ण प्रशासनसे अपराधपूर्ण अवज्ञा बहुत हदतक रुक जाती है; किन्तु मेरा अटल विश्वास है कि सत्याग्रहके सिवा, जिसमें सत्य और अहिंसाका पालन अनिवार्य रूपसे किया जाता है, और कोई चीज अपराधमय अवज्ञा और बोल्शेविज्मको बन्द नहीं कर सकती । सरकारोंसे चाहे वे विदेशी हों या देशी कभी-कभी भयंकर भूलें हो जाया करती हैं - यहाँतक कि वे जनताकी रायकी भी अवहेलना कर बैठती हैं, जैसा कि रौलट अधिनियमसे हुआ है । ऐसी स्थिति में असन्तोष या तो अपराधमय अवज्ञा और क्रान्तिकारी अपराधका रूप ले लेता है या उसे सत्याग्रह द्वारा - जो कि सत्याग्रहियों द्वारा मनमें रोष या द्वेष लाये बिना, व्यवस्थित ढंगसे, सरकारको सम्पूर्ण अथवा आंशिक रूपसे समर्थन न देना मात्र है -स्वास्थ्यकर मार्गपर लाया जा सकता है - लाया जाना बिल्कुल सम्भव भी है। परन्तु मेरी इच्छा तो यही है कि रौलट अधिनियम वापस ले लिया जाये और पंजाबकी घटनाओंके कारणोंकी छानबीन मार्शल लॉके प्रशासनपर दष्टिपात

 
  1. देखिए "सत्याग्रहियोंको हिदायतें", ३०-६-१९१९ ।
  2. यह तार वस्तुतः २७ जूनको भेजा गया था । देखिए " पत्र : एच० एस० एल० पोलकको ", २७-६-१९१९ ।