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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

-जिसमें उसके अन्तर्गत दी गई सजाओंपर पुनर्विचार करनेका अधिकार भी शामिल हो - इन बातोंके लिए जाँच समिति नियुक्त की जाये; साथ ही 'ट्रिब्यून' के सम्पादक श्री कालीनाथ रायको रिहा किया जाये । उपरोक्त राहत के सम्बन्धमें प्रार्थना करते हुए मैं वाइसराय महोदयकी सेवामें पत्र भेज चुका हूँ ।

गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ६६७५ आर) की फोटो नकलसे ।

 

३५३. भाषण : सत्याग्रह-सभा में

बम्बई
जून २४, १९१९

२४ जून, १९१९ को मोरारजी गोकुलदास हॉलमें सत्याग्रह-सभा [ बम्बई ] के तत्त्वावधान में रौलट अधिनियम के लागू किये जाने तथा श्री बी० जी० हॉर्निमैनको देशनिकाला दिये जानेका विरोध करने के उद्देश्यसे एक सार्वजनिक सभा हुई। गांधीजीने अध्यक्षता की।

श्री गांधीने सभामें देरसे पहुँचनेपर क्षमा माँगने के बाद कहा, आज रातकी इस महत्त्वपूर्ण सभाको आयोजित करनेके अनेक महत्त्वपूर्ण कारण हैं । उनमें से एक कारण है रौलट अधिनियम तथा विधेयक । आप लोगोंको इनके विरोधमें एक प्रस्ताव पास करना है । दूसरा कारण है श्री हॉर्निमैनका देशनिकाला; उसका विरोध करना। चूंकि यह सभा सत्याग्रह-सभा के तत्त्वाधानमें बुलाई गई है, इसलिए सब भाषणकर्त्ताओंसे प्रार्थना है कि आप लोग इस ढंगसे भाषण दें जो सत्याग्रहियोंको शोभा दें। इस प्रकारकी सत्याग्रह सभाओं में वांछनीय है कि भाषण देनेवाले सब सज्जन सत्याग्रही हों, परन्तु इस सम्बन्धमें अभी कोई निश्चय नहीं हो पाया है। इसके अनन्तर गांधीजीने श्री जमनादास एम० मेहतासे निवेदन किया कि वे प्रथम प्रस्ताव पेश करें।...

श्री गांधीने श्री हॉनिमैनके सम्बन्धमें श्री वी० जेराजाणीके प्रस्तावको मतदानके लिए उपस्थित करते हुए कहा, कि इस प्रस्तावको श्री हॉर्निमैनके प्रति आदर प्रदर्शित करनेके हेतु सब लोग खड़े होकर और मौन रहकर पास करें ।

तदनन्तर श्री गांधीने कहा कि यदि आज जैसी सभाएँ समस्त भारतमें आयो- जितकी जा सकें और उनमें इसी प्रकारको सुव्यवस्था हो जैसी आज यहाँ देखनेमें आ रही है तो सरकारको श्री हॉनिमैनके खिलाफ जारी लेना ही पड़ेगा। जनता अपना कर्त्तव्य निबाहती जाये किया गया हुक्म वापस तो सरकारको भी अपने