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३५६. पत्र : एस० आर० हिगनेलको

[ बम्बई]
जून २६, १९१९

प्रिय श्री हिंगनेल,

इस पत्रके साथ मैं बाबू कालीनाथ रायकी रिहाईके सम्बन्धमें परमश्रेष्ठके समक्ष प्रस्तुत किये जानेके लिए उनके नाम आवेदनपत्र भेज रहा हूँ । उसमें उनसे श्री रायको रिहा कर देनेकी प्रार्थना की गई है। सर नारायण चन्दावरकर द्वारा तारसे आपको भेजी गई सूचना अनुसार इस तारको गत सोमवारको ही भेज दिया जाना चाहिए था । उसे भेजनेका काम मेरे सचिवके सुपुर्द था; परन्तु वह बीमार पड़ गया और इस समय अहमदाबादमें है । हस्ताक्षर करानेका काम दूसरोंके सुपुर्द था और जो तार आपको भेजा गया था उसके मजमूनका मुझे आज सबेरे तक कुछ भी पता न था - आज सुबह सर नारायण आ पहुँचे और मुझसे पूछ बैठे कि आवेदनपत्र भेज दिया गया या नहीं । जब मैंने उनसे यह कहा कि चूंकि हस्ताक्षर लेनेका काम अभी चालू है इसलिए उसे नहीं भेजा जा सका है, तब उन्हें स्वभावतः दुःख हुआ। जिस प्रतिपर सर नारायण, सर दिनशा वाछा तथा अन्य लोगों के हस्ताक्षर हैं मैं उसे इस समय भी आपके पास भेजने में असमर्थ हूँ । आशा है वह कल मेरे पास आ जायेगी और कल ही मैं उसे आपके पास भेज सकूँगा । विलम्बके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ । परन्तु मुझे मालूम है कि परमश्रेष्ठ प्रार्थनापत्रपर समुचित ध्यान देंगे, वह इसका पात्र है और फिर उसपर सर नारायण चन्दावरकर-जैसे उच्च कोटिके विधिवेत्ताके हस्ताक्षर मौजूद होनेके कारण उसका वजन और भी बढ़ गया है ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६६८६) की फोटो- नकलसे ।