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३५७. पत्र : सर एन० जी० चन्दावरकरको

[ बम्बई
जून २६, १९१९]

प्रिय सर नारायण,

कालीनाथ रायसे सम्बन्धित आवेदनपत्र भेजनेमें अक्षम्य विलम्ब हो जानेकी बातपर आज सुबह आपको बड़ा कष्ट पहुँचा और उससे मुझे बहुत दु:ख हुआ। मेरे पास काम इतना अधिक रहा करता है कि जब मैं कोई काम अपने किसी सहयोगीके सुपुर्द कर देता हूँ तो मैं उसके विषय में निश्चिन्त हो जाता हूँ और आगे छानबीन नहीं करता। जो तार शिमला भेजा गया है यदि उसके मजमूनके बारेमें मुझे पता होता तो उस मामलेपर मैं स्वयं ध्यान देता। आशा है आप उस घटनाको भूल जायेंगे ।

वाइसरायके निजी सचिवको मैंने जो पत्र लिखा है उसकी नकल आपको भेज रहा हूँ। मेरा उनका काफी अच्छा सम्बन्ध है और हम लोग एक दूसरेको बेतकल्लुफीके साथ पत्र लिखा करते हैं। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि जो प्रतियाँ हस्ताक्षरके लिए घुमाई गई थीं उनपर बहुत लोगोंने हस्ताक्षर किये हैं। यह भी आशा है कि कल सुबह आप 'क्रॉनिकल' में उन हस्ताक्षरोंको देख सकेंगे। जैसा कि मैंने श्री हिगनेलको अपने एक पत्रमें लिखा है, ये प्रतियाँ यहाँसे कल अवश्य भेज दी जायेंगी । दुःखके साथ कहना पड़ता है कि सर दिनशा पेटिटने[१] आवेदनपत्र पर हस्ताक्षर करनेसे इनकार कर दिया है। सर चिमनलालके</ref> हस्ताक्षर मिलनेकी आशा है।

चूँकि आप जल्दी में थे, और दिये हुए वचनको पूरा न करनेके कारण श्री देसाईपर बहुत क्षुब्ध थे इसलिए उस समय मैंने श्रीमती चन्दावरकरके स्वास्थ्यके बारेमें आपसे कुछ नहीं पूछा । आशा है कि वे अच्छी तरह हैं ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० ६६८३) की फोटो नकलसे ।

 
  1. (१८७३ - १९३३ ); मिल-मालिक तथा व्यापारी; बम्बई विधान परिषद्के सदस्य ।