पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४३६

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३६०. पत्र : एस० आर० हिगनेलको

लैबर्नम रोड
[ बम्बई]
जून २७, १९१९

प्रिय श्री हिंगनेल,

इस समय में घरकी आग - उसे और क्या कहूँ - से होकर गुजर रहा हूँ । मुझे अपने पर लज्जा आ रही है; परन्तु कभी-कभी ऐसी परिस्थितियाँ आ खड़ी होती हैं जिनपर किसीका बस नहीं चलता। अभी मालूम हुआ कि जिस प्रतिके बारेमें में समझता था कि कल आपको भेजी जा चुकी है, वह मेरे निजी सचिवकी भूलके कारण भेजी नहीं गई और में उसे अब भेज रहा हूँ, और उस प्रतिको भी जिसपर सर नारायण चन्दावरकर तथा अन्य लोगोंके हस्ताक्षर हैं; तीसरी प्रतिपर लोगोंके हस्ताक्षर कराये जा रहे हैं। वह एक दिन बाद आपतक पहुँच जायेगी ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ६६८७) की फोटो - नकलसे ।

 

३६१. पत्र : एस्थर फैरिंगको

लैबर्नम रोड
बम्बई
जून २७, १९१९

प्यारी बेटी,

तुम्हारा पत्र अभी-अभी मिला; पढ़कर बड़ा दुःख हुआ । देशसे तुम्हारे निकाल दिये जानेकी सम्भावना मेरे लिए अकल्पनीय है । फिर भी यदि वे ऐसा कर गुजरें तो तुम्हें हर्षपूर्वक सहन कर लेना चाहिए। यदि तुम चाहो कि मैं सरकारको लिखूँ तो खुशीसे वैसा किया जा सकता है । सम्भव है उससे कुछ न बने। लेकिन उसमें कोई हर्ज नहीं है । मेरी सलाह है कि यदि वे कुछ शर्तोंपर तुम्हारा यहाँ बना रहना सम्भव मानें और वे अपमानजनक न हों तो उन्हें अंगीकार कर लेना ।

शायद अगले हफ्ते में अपना व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दूँ । इसलिए फिलहाल हमारा मिलना सम्भव नहीं है ।