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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बात दूसरी है । मैंने परमश्रेष्ठ वाइसरायको एक पत्र[१] लिखा है। मैं उसके उत्तरकी राह देख रहा हूँ। मैंने श्री मॉण्टेग्युको[२] भी एक तार भेजा है। अतः मंगलवार तक इन दोनोंके उत्तरकी प्रतिक्षा करूँगा । तबतक मैं सविनय अवज्ञा प्रारम्भ करना नहीं चाहता । मेरा सविनय अवज्ञाका तरीका यह होगा कि किसी स्थानपर बम्बई प्रान्तकी सीमा पार करके बाहर निकल जाऊँगा। फिलहाल तो मैं जहाँतक सोचता हूँ, उसके अनुसार मेरा इरादा यह नहीं है कि मैं पंजाब जानेकी कोशिशमें सीमा पार करूँ; क्योंकि मुझे लगता है कि अगर मैंने ऐसा किया तो उससे पंजाबमें जो शान्तिका वातावरण तैयार हो रहा है, उसमें व्यर्थ ही विघ्न उपस्थित हो जायेगा, और स्थानीय अधिकारियोंका मन क्षुब्ध होगा । अगर भारत सरकार या स्थानीय सरकारने यह चाहा कि मैं किसी विशेष स्थानसे ही सीमा पार करूँ तो में सहर्ष वैसा करूँगा । मेरी मंगलवार तक की गतिविधि इस प्रकार है :

शनिवारकी शामको मैं गुजरात मेलसे चलकर रविवारकी सुबह नडियाद पहुँचना चाहता हूँ और फिर रविवारको लगभग दिन-भर खेड़ा जिलेमें बिताना चाहता हूँ। अगर सम्भव हुआ तो उस बीचमें स्वदेशीपर भाषण देने कठलाल भी जाना चाहता हूँ। अगर ऐसा हुआ तो रविवारको मैं नडियादसे अहमदाबादके लिए शामकी गाड़ी पकडूँगा और अहमदाबाद पहुँचकर सोमवारका पूरा दिन वहीं बिताऊँगा । फिर लौटती गुजरात मेलसे मैं अहमदाबादसे बम्बईके लिए प्रस्थान करूँगा और इस प्रकार मंगलवारको आठ बजे सुबह बम्बई पहुँच जाऊँगा । अहमदाबादमें में अपने मित्रोंसे बातचीत करते हुए दिन बिताना चाहता हूँ और इस बातचीतका विषय यह होगा कि मेरे सविनय अवज्ञा प्रारम्भकर देनेपर शान्ति कैसे कायम रखी जाये। उसी दिन में अहमदाबादकी महिलाओंकी एक सभामें स्वदेशी- पर भाषण भी देना चाहता हूँ ।

मैं नम्रतापूर्वक यह कहना चाहूँगा कि अगर सरकार चाहती हो कि मैं एक अनतिदीर्घ निश्चित अवधिके लिए पुनः सविनय अवज्ञा प्रारम्भ न करूँ तो उसकी इस इच्छाका आदर करना मेरा कर्त्तव्य होगा, क्योंकि मैं भी इस बातके लिए बहुत चिन्तित हूँ कि मुझे ऐसा कोई भी काम न करना पड़े जिससे सरकारको कोई परेशानी हो । हाँ, सरकारने रौलट विधेयकोंको वापस लेनेसे इनकार करके जो स्थिति उत्पन्न कर दी है, उसके परिणामस्वरूप की जानेवाली सविनय अवज्ञाके कारण उसे जो परेशानी होगी वह तो अनिवार्य है । मैंने सुना है, और जिस सूत्रसे सुना है उसे मैं विश्वसनीय ही मानता हूँ कि भारत सरकार और भारत-मन्त्री दोनों रौलट विधेयकोंके बारेमें अपने रुखमें परिवर्तन करना चाहते हैं और कोई उपयुक्त समय देकर जल्द ही रौलट अधिनियम वापस लेना चाहते हैं । यह भी सुना है कि उन्होंने उक्त अधिनियमसे सम्बन्धित विधेयक पास करानेका इरादा छोड़ दिया है। अगर मेरी जानकारी सही हो और अगर सरकार वर्तमान स्थितिको देखते हुए, जिस हदतक सम्भव हो, वह इस बातका आश्वासन दे दे कि

 
  1. देखिए " पत्र : एस० आर० हिगनेलको ", २८-६-१९१९ ।
  2. देखिए " तार : ई० एस० मॉण्टेग्युको”, २४-६-१९१९ ।