पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 15.pdf/४६९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४३९
पत्र: सर जहाँगीर पेटिटको

वास्तव में यदि उसका यही इरादा है तो मैं सविनय अवज्ञा अनिश्चित कालके लिए मुलतवी कर दूँगा। यह आश्वासन प्रकाशनार्थ नहीं होगा ।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

सोर्स मेटिरियल फॉर ए हिस्ट्री ऑफ द फ्रीडम मूवमेंट इन इंडिया, खण्ड २, (१८८५ - १९२०) पृष्ठ ७९४-५


३८३. पत्र : एस० टी० शैपर्डको

[ बम्बई]
जुलाई २, १९१९

आपने दक्षिण आफ्रिकी प्रश्नपर जिस तत्परतासे ध्यान दिया और आजके 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में जो शानदार अग्रलेख लिखा उसके लिए मेरा धन्यवाद स्वीकार करें। मुझे पूरा विश्वास है कि इससे बहुत लाभ होगा और भारतमें जनमत तैयार करनेमें बड़ी मदद मिलेगी ।

कानून सम्बन्धी पुस्तक[१]मुझे यथासमय मिल गई।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (एस० एन० ६४८४ बी) की फोटो - नकलसे ।


३८४. पत्र : सर जहाँगीर पेटिटको

लैबर्नम रोड
[ बम्बई ]
जुलाई २ [१९१९]

मेहरबान भाई जहाँगीरजी,

मैंने आपको जो सन्देश भिजवाया था उसे आपने सौजन्य के साथ सुना, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ । आपने दक्षिण आफ्रिकाके विषयमें कुछ भी नहीं किया, इससे मुझे बहुत दु:ख हुआ है । 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के सम्पादकको मैंने चार दिन पहले पत्र लिखा था; उसने तुरन्त साहित्य मँगवाया, उसे पढ़ा और आज एक सुन्दर लेख प्रकाशित कर दिया। कहाँ उसका उत्साह और कहाँ आपकी लापरवाही ? आपसे तो मुझे बड़ी आशा

 
  1. ट्रान्सवालके कानूनों की पुस्तक ।